प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को इंदौर में बोहरा समाज की वाअज (प्रवचन) में शिरकत करने के लिए पहुंचे। उन्होंने यहां माणिकबाग स्थित सैफी मस्जिद में ख़ुद को बोहरा समाज का हिस्सा बताते हुए बोहरा समाज की जमकर तारीफ़ की।
पीएम मोदी ने कहा कि शांति-सद्भाव, सत्याग्रह और राष्ट्रभक्ति के प्रति बोहरा समाज की अहम भूमिका रही है। इसलिए आप सबके बीच आना मुझे एक नया अनुभव देता है।
बोहरा समाज के गुरु सैयदना साहब की तारीफ़ करते हुए उन्होंने कहा कि सैयदना साहब ने समाज को जीने की सीख दी।
PM मोदी की तरह अगर राहुल गांधी ने ख़ुद को ‘बोहरा समाज’ का हिस्सा बताया होता तो अब तक वो ‘मुल्ला’ घोषित कर दिए जाते : आचार्य
पीएम मोदी ने कहा कि अपने देश, मातृभूमि से प्रेम की सीख सैयदना साहब देते रहे हैं। सैयदना साहब ने गांधीजी के साथ मिलकर मूल्यों की स्थापना में अहम योगदान दिया था।
पीएम मोदी की मस्जिद में जाकर बोहरा समाज के लोगों से इस मुलाकात पर आध्यात्मिक गुरु आचार्य प्रमोद कृष्णम ने तंज़ कसा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “अच्छे दिन आ गये सारे काम बन गये, राम के भक्त भी ‘इमाम’ बन गये”।
इससे पहले एक और ट्वीट में आचार्य प्रमोद ने कहा कि जिस तरह से मोदी जी ने बोहरा समुदाय के लोगों से मस्जिद में मिलकर ख़ुद को उनके समाज का हिस्सा बताया, अगर इसी तरह राहुल गांधी ने ख़ुद को बोहरा समाज का हिस्सा कहा होता तो अबतक उन्हें मुस्लिम घोषित कर दिया जाता।
ग़ौरतलब कि प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता में आने से पहले देश की जनता से कई वादे किए थे। इन्हीं वादों की फ़ेहरिस्त में ‘अच्छे दिन’ यानी देश का विकास और अयोध्या में राम मंदिर बनवाना था।
लेकिन मोदी सरकार के चार साल बीत जाने के बाद भी इनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया, न तो देश में अच्छे दिन आए और न ही राम मंदिर निर्माण की शुरुआत हुई।
इन दो तस्वीरों पर उठे सवाल, PM मोदी मस्जिद में नंगे पैर जाते हैं भगवान की आरती चप्पल पहनकर करते हैं
निर्माण तो दूर की बात सरकार का इसपर कोई स्पष्ट स्टैंड भी नहीं दिखा। इस मुद्दे को लेकर साधु समाज पहले ही मोदी सरकार से नाराज़गी ज़ाहिर कर चुका है।
वहीं एससी/एसटी एक्ट को लेकर स्वर्ण भी केंद्र से नाराज़ चल रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों को साधना शुरु कर दिया है।
पीएम मोदी की बोहरा समाज से मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी की बोहरा समाज से इस मुलाकात का लोकसभा चुनावों में उनकी पार्टी को कितना फ़ायदा मिलता है और कितना नुकसान।