JNU की छात्र राजनीति पर हमेशा से देशभर के लोगों की नज़र बनी रहती है, संभवतः इसलिए कि सत्ता की तानाशाही का मुखर विरोध सबसे ज्यादा इसी विश्वविद्यालय से होता है।

इन दिनों छात्रसंघ चुनाव चल रहे हैं तो राजनैतिक हलचल ज्यादा दिख रही है। JNU में अध्यक्षीय भाषण की एक लोकतान्त्रिक परम्परा है जिसके जरिए उम्मीदवारों की क्षमता का आंकलन कर लिया जाता है कि कौन छात्रसंघ में प्रतिनिधित्व के काबिल है।

12 सितम्बर की रात में  हुई प्रेसिडेंशिअल बहस में बाजी मार ले गए छात्र राजद के जयंत कुमार। कुछ ही दिन पहले JNU में दस्तक देने वाले संगठन के उम्मीदवार ने कैसे देखते ही देखते सबको अपना कायल बना लिया।

जयंत के भाषण का वीडियो देखें-

CRJD Candidate Jayant Speech Echoes in JNU Campus
छात्र राजद के जरिए दिल्ली में गूंजी लालू और तेजस्वी की राजनैतिक धमक!दमदार भाषण के दम पर JNU में छाए जयंत कुमार Jayant Jigyasu छात्र राजद R.J.D – राष्ट्रीय जनता दल Tejashwi Yadav Tej Pratap Yadav Misa Bharti Lalu Prasad Yadav SanJay Yadav Manoj Jha #JNU
Posted by Bolta Bihar on Thursday, September 13, 2018

इसे ऐतिहासिक पल बताते हुए  रवि रंजन सिंह  ने एक लेख लिखा है।

पढ़ें-

10 बजे रात तक झेलम लॉन में हजारों की भीड़ आ चुकी थी, बहुतेरे लोग विश्वविद्यालय के बाहर से भी थे, लेकिन चुनाव आयोग की नासमझी एवं अनुभवहीनता के कारण भीड़ उसे हीं भला बुरा कहने लगी ! कारण था -डिबेट प्रारंभ में देरी ! बहरहाल आधी रात के आसपास डिबेट प्रारंभ हुआ ! चुकि JNU निशाचरों का भी गढ़ है, इसलिए भीड़ जस की तस बनी रही !!

तीन चार Presidential candidates के बोलने के बाद सब लोग चट गये ! अब जनता का गुस्सा चुनाव आयोग से शिफ्ट होकर प्रत्याशियों पर आ गया ! ” न जाने कैसे कैसे लोग खड़े हो जा रहें हैं प्रेसिडेंट के लिए, टाइम बर्बाद करके रख दिया सब, JNU में डिबेट का स्तर कितना गिरा दिया है इनलोगों ने, सब बकवास हैं ” इत्यादि इत्यादि ! तभी एक दुबला- पतला छोटे कद का प्रेसिडेंट कैंडिडेट आया, अपना अध्यक्षीय भाषण देने, नाम जयंत_कुमार !

कैडर के नाम पर महज 10 -15 लोग हीं रहे होंगे उसके पास, इसलिए अन्य सभी संगठन हल्के में ले रहे थे जयंत को ! लेकिन जैसे हीं बोलना शुरू किया तो 10 मिनट तक पूरा JNU अपनी लेफ्ट -राइट की बाइनरी से निकलकर हर एक मिनट पर करतलध्वनी करता रहा !

बेहतरीन भाषा शैली, लाजवाब वक्तृत्व क्षमता, एवं अपनी अप्रतिम बौधिक क्षमता का समागम कर क्या ओजस्वी भाषण दिया, तेजस्वी वाले पार्टी के जयंत ने ! छात्र समुदाय जो अबतक उब चुका था, और उसके तालियों एवं नारों की वैलिडिटी ख़त्म हो गयी थी, अचानक जयंत के भाषण से रिचार्ज होकर 4G के स्पीड से एक्टिवेट हो गया !

ऐतिहासिक भाषण की चंहुओर चर्चा होने लगी- ” ये तो कन्हैया जैसा बोल रहा है” ! “कन्हैया का पुराना मित्र है सुनने में आ रहा है” !

कन्हैया को नेता बनाने में इसी का हाथ है !” कन्हैया का भाषण यही लिखता था “!

“लेकिन कन्हैया में इतनी बौधिक क्षमता कहाँ, वो तो लेफ्टिस्ट मोदी है, !”

बहुतेरे विद्यार्थियों ने पिछले 5-6 सालों में किसी भी JNUSU अध्यक्ष उम्मीदवार द्वारा दिया गया अबतक का सबसे शानदार और धारदार भाषण बताया !

साहित्य से प्रेमचंद का हल्कू, वैज्ञानिकता एवं शिक्षा में नेहरु का दृष्टिकोण, सामाजिक न्याय में अम्बेडकर, जगदेव प्रसाद, कर्पूरी ठाकुर का योगदान, धर्मनिरपेक्षता में लालूवाद का महत्व आदि तमाम पहलुओ को समेटे हुए था जयंत का भाषण !

उनके बाद एक राइट के और एक लेफ्ट के दो उम्मीदवार बोलने के लिए आये, वही घिस्सा- पिटा, रट्टा- रटाया पारंपरिक भाषण हुआ जो यहाँ नाकाबिले जिक्र है !

सबसे मजेदार रहा प्रश्नोत्तर का चरण जिसमें जयंत ने न सिर्फ सबको धुल चटाया बल्कि एक दो तो उम्मीदवार ही मंच पर ही खुद जयंत की वाकपटुता एवं बौद्धिकता की तारीफ किये!

JNU एक प्रगतिशील विश्वविद्यालय है, लेकिन छात्रसंघ चुनाव में इसका भी लिटमस टेस्ट होने जा रहा है की ये कितना प्रगतिशील है, प्रगतिशीलता का मतलब क्या केवल “वामपंथी प्रगतिशीलता” है या फिर संघवादी जड़ता ही प्रगतिशीलता का दूसरा नया नाम है !

अध्यक्ष का चुनाव चाहे कोई जीते, परिणाम चाहे कुछ भी हो, JNU ने जयंत के रूप में एक मूर्धन्य विद्वान् नायाब नेता तो पैदा कर ही दिया है !

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here