2014 में भाजपा की तरफ से दावा किया गया था कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद डॉलर के मुकाबले रुपया नहीं गिरेगा और ना ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें असमान पर पहुंचेंगी।
लेकिन 2018 में देश की अर्थव्यवस्था इन दोनों मुश्किलों का सामना कर रही है और इसके कई अन्य परिणाम भी भुगतने पड़ रहे हैं।
मनमोहन सरकार में ‘रुपया’ ICU में चला गया था, अब प्रधानमंत्री और रुपया दोनों ‘कोमे’ में है!
देश का ‘विदेशी मुद्रा भंडार’ सात सितंबर को समाप्त सप्ताह में 81.95 करोड़ डॉलर कम होकर 399.282 अरब डॉलर पर आ गया। यह पिछले एक साल में यानि 2018 में पहला मौका है जब विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर से नीचे आया है।
रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार यह लगातार दूसरा सप्ताह है जब विदेशी मुद्रा भंडार में भारी गिरावट आयी है। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते विदेशी मुद्रा भण्डार में 1.191 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी।
‘रुपया-पेट्रोल-डीज़ल सरकार के हाथ से निकल गए, अब कहीं ‘विकास के पापा’ अपना झोला लेकर बाहर न निकल जाएं’
ये नुकसान केवल देश में ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी देश को झेलना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से निकासी का विशेष अधिकार 15 लाख डॉलर कम होकर 1.476 अरब डॉलर रह गया है। आईएमएफ में देश का भंडार भी 25 लाख डॉलर घटकर 2.474 अरब डॉलर पर आ गया।