भारतीय बैंकों को हज़ारों करोड़ की चपत लगाने वाले उद्योगपति विजय माल्या ने वित्त मंत्री अरुण जेटली पर बड़ा आरोप लगाया है। माल्या ने लंदन की कोर्ट के बाहर बुधवार को कहा कि भारत छोड़ने से पहले उसने मामला सुलझाने के लिए वित्त मंत्री से मुलाकात की थी।
विपक्षी नेता विजय माल्या के आए बयान से पहले से ही बोलते आ रहे थे कि उसे विदेश भागने में जरुर केंद्र सरकार ने मदद की है। वरना बैंकों का हजारों करोड़ रुपए लेकर विदेश भागना इतना आसान नहीं है वो भी घोटाले के उजागर होने के बाद!
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने मार्च 2016 में ही ट्वीट करते बताया था कि माल्या को भगाने में मोदी सरकार की मिलीभगत है।
अपने मार्च 2016 के ट्वीट में केजरीवाल ने लिखा था कि, “सीबीआई सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है, प्रधानमंत्री की जवाबदेही है कि माल्या को भारत छोड़ने की अनुमति क्यों दी गई? सीबीआई सरकार की सहमति के बिना माल्या को विदेश जाने की इजाज़त नहीं दे सकती।
अरविन्द केजरीवाल साथ ही मोदी सरकार पर ये भी आरोप लगाते रहे हैं कि विजय माल्या भागा नहीं है बल्कि उसे मोदी सरकार द्वारा भगाया गया है।
वहीं भाजपा वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने साल के जून महीने में कहा था कि, “माल्या भारत छोड़ ही नहीं सकते थे, क्योंकि उनके खिलाफ कई नोटिस एयरपोर्ट्स पर लगे थे।
लेकिन, फिर वो दिल्ली आए और किसी शक्तिशाली (संभवतः अरुण जेटली) शख्स से मुलाकात की और उनके विदेश प्रस्थान करने से पहले सारे नोटिस एयरपोर्ट से हटा लिए गए। आखिर कौन था वो शख्स? जिसने उसे जाने दिया”?
विजय माल्या के इस बयान के बाद बीजेपी में बड़ी हलचल पैदा हो गई है। साथ ही कांग्रेस बीजेपी को इस मामले में घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। अन्य विपक्षी दल के नेता भी इस मामले को लेकर लगातार बीजेपी पर हमलावर हैं।