कांग्रेस तथा अन्य विपक्षी दलों ने 10 सितंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। ये बदं पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की बढ़ती कीमतों, डॉलर के मुकाबले कमजोर होते रुपए के विरोध में किया गया है। कांग्रेस का दावा है कि आज के भारत बंद में 21 विपक्षी दल उसका साथ दे रहे हैं।

ये हैं वो विपक्षी दल –

शरद पवार की NCP, एमके स्टालिन की DMK, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की JD(S), राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS), शरद यादव की लोकतांत्रिक जनता दल, RJD, जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), BSP, CPI, CPM. इसके अलावा कई व्यापार संगठनों और मदजूर संगठनों का भी समर्थन मिला है।

वही कई ऐसे भी विपक्षी दल हैं जो कांग्रेस के इस मुद्दें के साथ तो हैं लेकिन बंद में शामिल नहीं हुए। जैसे ममता बनर्जी की TMC, नवीन पटनायक की बीजू जनता दल, दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप)

‘भारत बंद’ पर कांग्रेस का तर्क

कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी को नामदार अनर्थशास्त्री बताते हुए कहा है यूपीए सरकार के समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बावजूद तेल की कीमतें नियंत्रण में थी। लेकिन मोदी सरकार में ऐसा नही है।

कांग्रेस ने यूपीए और एनडीए सरकार की तुलना करते हुए सोशल मीडिया ट्विटर पर एक आंकड़ा भी पेश किया है जो इस प्रकार है-

16 मई 2014 को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 107.09 डॉलर प्रति बैरल था। तब यूपीए की सरकार जनता को 71.41 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल और 55.49 रुपए प्रति लीटर डीजल जनता को दे रही थी।

6 सितंबर 2018 को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 73 डॉलर प्रति बैरल। लेकिन मोदी सरकार जनता को 79.51 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल और 71.55 रुपए प्रति लीटर डीजल दिया।

कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक और आंकड़ा दिया है। कांग्रेस का कहना है कि यूपीए के समय पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.20 रु प्रति लीटर लगाया जाता था। लेकिन मोदी सरकार में यही शुल्क 19.48 रु प्रति लीटर लगाया जा रहा है।

डीजल की बात करें तो यूपीए के समय डीजल पर 3.46 रु प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लगाया जाता था। लेकिन मोदी सरकार में यही शुल्क 15.33 रु प्रति लीटर लगाया जा रहा है।

सत्ताधारी बीजेपी की प्रतिक्रिया

बीजेपी ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के इस बंद को असफल बताया है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि ‘भारत बंद के नाम पर पेट्रोल पम्पों में आग लगाई जा रही है बसों और गाड़ियों को तोड़ा जा रहा है, कांग्रेस पार्टी जवाब दे कि देश में हो रही इन हिंसाओं का जिम्मेदार कौन है।’

बीजेपी की ये प्रतिक्रिया जनता का मुख्य मुद्दें से ध्यान हटाने की कोशिश जैसा है। सवाल ये नहीं है कि भारत बंद में क्या हो रहा है, कितनी हिंसा हो रही है। सवाल तो ये है कि भारत बंद की जरूरत ही क्यों पड़ी है? भारत बंद का मुद्दा क्या है?

भारत बंद का मुद्दा है पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के आसमान छूते दाम, डॉलर के मुकाबले कमजोर होता रुपया। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को ये बताना चाहिए कि  पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के बढ़ते दामों से जनता को कैसे छुटकारा दिलाया जाएगा। रुएया को कैसे मजबूत किया जाएगा।

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