नोटबंदी और जीएसटी से अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हुआ है और बेरोज़गारी बढ़ी है इस बात के पक्ष में अब कई तर्क सामने आ चुके हैं।

यहाँ तक कि संसद की भी एक समिति ने इस बात को मान लिया है। लेकिन अपनी किरकिरी होने से बचाने के लिए भाजपा इस रिपोर्ट को बाहर नहीं आने देना चाहती है।

संसद की एक समिति में शामिल भाजपा सांसदों ने नोटबंदी पर विवादित मसौदा रिपोर्ट को स्वीकार करने से रोक दिया है।

संसद की स्थायी समिति ने मसौदा रिपोर्ट में कहा कि नोटबंदी का निर्णय व्यापक प्रभाव वाला था। इससे नकदी की कमी के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कम-से-कम एक प्रतिशत की कमी आयी और असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ी।’’

समिति में अपने संख्याबल का फायदा उठाते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मसौदा रिपोर्ट का विरोध किया और इसको लेकर मोइली को असहमति का पत्र दिया, जिसका समिति में शामिल पार्टी के सभी सांसदों ने समर्थन किया।

31 सदस्यीय समिति में भाजपा सदस्य बहुमत में हैं। चूंकि समिति में बहुसंख्यक सदस्य भाजपा के हैं, अत: समिति मसौदा रिपोर्ट स्वीकार नहीं कर सकी।

नोटबंदी को लेकर मसौदा रिपोर्ट की भाषा काफी आलोचनात्मक है और मांग की गयी है कि सरकार नोटबंदी के लक्ष्य और उसके आर्थिक प्रभाव को लेकर एक अध्ययन कराये।

बता दें, कि समिति करीब दो साल से नोटबंदी की समीक्षा कर रही है। इस संदर्भ में उसने वित्त मंत्रालय तथा आरबीआई के गवर्नर को भी स्पष्टीकरण के लिये बुलाया था।

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