देश में छाई मंदी ने अब हीरा कारोबार को अपने चपेट में ले लिया है। हीरे के लिए विख्यात गुजरात के सूरत में डिमांड घटने के कारण अबतक 200 कारीगरों को नौकरी से निकाला जा चुका है। नौकरी से निकले गए कारीगरों का कहना है कि, कंपनी के मालिकों ने कहा कि काम नहीं होने की वजह से वह कारखाना बंद करने जा रहे हैं, इसीलिए उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है।
जबकि मोदी सरकार अब भी इस बात को कह रही है कि देश में मंदी नहीं है। ऑटो सेक्टर का मंदी के दौर से गुजरने के कारण 10 लाख लोगों की नौकरियां खतरे में हैं, पारले अपने यहां से 10 हजार कर्मचारियों की छटनी करने जा रहा है, भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी का 7 सितंबर और 9 सितंबर 2019 को गुरुग्राम और मानेसर संयंत्रों में नो-प्रॉडक्शन डे की घोषणा करना और मोदी सरकार द्वारा आरबीआई से 1।76 लाख करोड़ रुपए लेना मंदी की ओर ही इशारा कर रहा है, लेकिन सरकार इससे साफ़ इंकार कर रही है।
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मंदी की वजह से इन कारीगरों के सामने बड़ी आर्थिक चुनौती सामने आ गई है। कारीगरों का कहना है कि वे पिछले कई सालों से एक ही कंपनी में काम कर रहे थे। अब एक झटके में उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है तो इनके सामने खाने का भी संकट पैदा हो गया है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई थी, जिसके मुताबिक हीरा नगरी सूरत में करीब 15000 कारीगर बेरोजगार हो चुके हैं। सूरत के हीरे देश समेत पूरी दुनिया में विख्यात हैं। यहां दुनिया के 10 में से 9 हीरे तैयार किए जाते हैं। देश-विदेश के लोग सूरत में व्यापर करने आते हैं, जिससे लाखों हीरे के कारीगरों के घर चलते हैं। वहीं अधिकारिक आकड़ों के मुताबिक अबतक 1500 हीरा कारीगर बेरोजगार हुए हैं।
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बता दें कि चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर महज 5 फीसदी रह गई है। वहीं अगर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट और एग्रीकल्चर सेक्टर में सुस्ती ने देश की जीडीपी ग्रोथ को जोरदार झटका दिया है। इससे पहले, 2012-13 की अप्रैल-जून तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट 4.9 फीसदी के निचले स्तर दर्ज की गई थी।