उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में ‘गाय’ के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है। घोटाला गाय की ‘गोशाला’ को लेकर हुआ है। जिसमें गोशाला में गायों के लिए 25 लाख रुपये चारा और पानी के लिए खर्च कर दिए गए। मगर, अचरज की बात ये हैं कि गोशाला में गाय ही मौजूद नहीं हैं। हां उत्तर प्रदेश में खेतों में फसल चरती, गली-मुहल्लों से लेकर सड़कों तक गायें जरुर घुमती नजर आ जाएंगी।

गाय के नाम पर बड़ी-बड़ी घोषणा करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में गोशालाओं और गाय की देखभाल के लिए करोड़ो रुपये खर्च किए जा रहे हैं। गाय के संरक्षण के नाम पर सरकारी पैसे खर्च भी किए जा रहे हैं। लेकिन, गोशालाओं से गाय गायब हैं। फिर ये पैसा जा कहां रहा है? यही नहीं गोशालाओं में गाय की देखभाल के लिए मासिक वेतन पर गो सेवक रखे गए हैं। अधिकतर गोशालाओं से गो सेवक भी गायब हैं। यानि गो सेवक को मासिक वेतन देने के नाम पर भी भ्रष्टाचार है।

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ये मामला यूपी के डुमरियागंज का है। कागजों पर ही बाड़े में गाय दिखा दी गईं, कागजों पर ही चारा-पानी भी दिखा कर जनता के पैसे डकार लिए गए। इस बेजुबान जानवर को पता ही नहीं कि उसके नाम पर योगी सरकार में इतनी बड़ी धांधली हो रही है और वो खुद सड़कों पर भूखे मरने पर मजबूर हैं। ये हाल तब है जब बीजेपी और सीएम योगी गाय के सबसे बड़े रक्षक होने का दावा करते हैं।

इस मामले पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर आरोप लगाते हुए हमला बोला है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि, “कागज़ पर मवेशी, कागज़ पर चारा। मिलजुल के खा गए भाजपाई सारा।”

गौर करने वाली बात ये भी है कि गाय को माता दर्जा देकर उसके साथ फोटो खीचा लेना अगर काफी है तो इन गायों की मौत का असल ज़िम्मेदार कौन है? क्या सरकार गाय को बचा पाने में विफल साबित हो रही है? इंसान के साथ साथ जानवर भी सुरक्षित नहीं है। ऐसे में वो लोग भी गायब है जो गाय के नाम एक इंसान की हत्या कर देते है।

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