भाजपा 144 करोड़ की लागत वाली बिहार के वर्चुअल रैली के बाद इस तरह की कई रैलियां अब करने जा रही है। बिहार के बाद बंगाल चुनाव को भी ध्यान में रखते हुए भाजपा ने वहाँ चुनावी रैली की।

कहने को तो भाजपा इसे चुनावी रैली नहीं कहती लेकिन भाषण में कही गई बातें और रैली के लिए की गई व्यवस्था साफ़-साफ़ यह बताती है कि भाजपा इस महामारी के दौर में भी चुनाव केंद्रित हो गई है।

कोरोना संक्रमण के मामलों में भारत जल्द ही शीर्ष 3 में पहुँच सकता है। हर दिन संक्रमण और मौत पिछले दिन के मुकाबले बढ़ ही रहे हैं लेकिन भाजपा शीर्ष नेतृत्व चुनाव को लेकर ज़्यादा चिंतित नज़र आ रही है।

अमित शाह ने अपने भाषण में कहा था कि इस तरह की कई वर्चुअल रैलियां आगे भी प्रस्तावित हैं। इसी सप्ताह 13 जून को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी एक वर्च्युअल रैली करेंगी जिसमें वो देश की जनता को मोदी सरकार के इस कार्यकाल में एक साल की उपलब्धियां गिनायेंगी। भारत की आर्थिक स्थिति अभी बहुत ही दयनीय है इसलिये सरकार के इन फैसलों की काफ़ी आलोचना हो रही है।

अखिलेश यादव ने अपने एक फेसबुक पोस्ट में इस वर्चुअल रैली को खर्चुअल रैली का नाम दिया है। साथ ही भाजपा की नियत पर भी सवाल खड़ा किये हैं। उन्होंने पूछा कि जब ये चुनावी रैली नहीं है तो इसे बूथ स्तर तक पहुंचाने का प्रयास क्यों?
भाजपा के इस कदम की चौतरफा आलोचना हो रही है।
अखिलेश यादव लिखते हैं कि “सुना है बिहार की तरह आज प. बंगाल में भी अरबों खर्च करके विश्व रिकार्ड बनाने वाली एक ‘खर्चुअल रैली’… या ‘वर्चुअल रैली’ हो रही है। दावा ये है कि ये चुनावी रैलियां नहीं हैं तो फिर बूथ स्तर तक इन्हें पहुँचाने के प्रयास क्यों?

दरअसल भाजपा झूठ का विश्व रिकॉर्ड बना रही है।”

विपक्ष के नेताओं से लेकर जनता तक इसके ख़िलाफ़ मुखर होकर बोल रही है। भाजपा इस दबाव को देखते हुए कुछ प्रस्तावित रैलियां रद्द करती है या नहीं ये देखना बेहद अहम होगा।

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