गोदी मीडिया के पत्रकारों ने लोकतंत्र का मर्सिया पढ़ना शुरू कर दिया है। सवाल सत्ता से होता है लेकिन जवाब गोदी मीडिया देती है। पत्रकारों और प्रवक्ताओं के बीच का फर्क लगभग मिट चुका है। एक ऐसे ही पत्रकार हैं अमीश देवगन। इन्हें प्यार से ‘हिंदी का अर्नब गोस्वामी’ भी कहा जाता है।

अर्नब और अमीश में सिर्फ भाषा का फर्क है। अर्नब जिस कुतर्क को अंग्रेजी में चिल्लाते हैं, अमीश उसी काम को हिंदी में करते हैं। अमीश पीएम मोदी के मित्र अंबानी के न्यूज चैनल ‘न्यूज 18 इंडिया’ में एंकर हैं। हिंदू-मुस्लिम टॉपिक पर डिबेट कर बीजेपी के लिए माहौल बनाना इनका मुख्य काम है! लेकिन फिलहाल ‘राफेल’ मुद्दें पर बीजेपी को डिफेंड कर नमक का फर्ज अदा कर रहे हैं!

दरअसल जब से फांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसुआं ओलान्द ने कहा है कि राफेल सौदे में अंबानी का नाम भारत सरकार की तरफ से आया था, तब से गोदी मीडिया सरकार के बचाव में लगी है। सरकार अपने बचाव में आधारहीन तर्क पेश किए जा रही हैं। और गोदी मीडिया इसी कुतर्क को प्रमुख्ता से जनता के सामने रख रही है।

सोमवार को बीजेपी नेता और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र शेखावत ने कहा कि कांग्रेस प्रमुख इस राफेल सौदे को खत्म कराकर अपने जीजा राबर्ट वाड्रा से संबंधित एक फर्म की मदद करना चाहते हैं। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस सरकार रॉबर्ट वाड्रा के मित्र संजय भंडारी की कंपनी को बिचौलिए के तौर पर इस्‍तेमाल करना चाहती थी और जब यह नहीं हो सका तो कांग्रेस इस सौदे को खत्‍म करा कर बदला लेना चाहती है।

गजेन्द्र शेखावत इस बयान का कोई आधार नहीं है। सत्ता में बीजेपी है तो सौदा कांग्रेस कैसे खत्म करवा सकती है? और अगर गजेन्द्र शेखावत का आरोप सही है तब तो और भी शर्म की बात है। मोदी सरकार कांग्रेस और राबर्ट वाड्रा पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है?

खैर गजेन्द्र शेखावत के इस राजनीतिक टिप्पणी को गोदी मीडिया ने मुद्दा बना दिया है। अमीश शाम 6:57 बजे न्यूज 18 इंडिया पर ‘आर-पार’ नामक एक शो लेकर आते हैं। आज यानी 26 सितंबर को इस शो का टॉपिक रखा गया है…

‘राफ़ैल का ‘वाड्रा’ कनेक्शन !’

‘राफ़ैल पर कौन सच्चा कौन झूठा?’

‘राफ़ैल के रण से जीतेंगे 2019?’

साफ पता चल रहा है कि कैस गोदी मीडिया गोल पोस्ट शिफ्ट करने की कोशिश कर रही है। राबर्ट वाड्रा ने बीजेपी द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दिया है। राबर्ट ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि ‘शुरुआत में मुझे हैरानी होती थी, लेकिन अब यह पूरा तमाशा बन गया है कि भाजपा जब भी फंसती है तो मेरा नाम उछालने लगती है। चाहे वह रुपये में गिरावट हो, चाहे पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती कीमतें हों या फिर हाल ही में राफेल पर देश को बेचने को लेकर उनके बेनकाब होने का मामला हो’

रॉबर्ट वाड्रा ने मोदी सरकार को चुनौती देते हुए कहा है कि ‘उनके पास सारी एजेंसियां हैं जांच करा लें। झूठ के पुलिंदे की आड़ में छिपने की बजाय उनको ’56 इंच छाती’ के साथ साहस दिखाना चाहिए और देश को राफेल के बारे में सच बताना चाहिए। लोग एक ही बात सुन-सुन कर तंग आ चुके हैं।’

बात सही भी है। सरकार के पास इतनी सारी एजेंसियां क्या भाजपा के पोस्टर चिपकाने के लिए हैं। वाड्रा पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? भाजपा पहले भी रॉबर्ट वाड्रा पर तमाम आरोप लगाती रही है लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। क्यों नहीं गई? केंद्र और ज्यादातर राज्यों में बीजेपी की सरकार है अगर रॉबर्ट वाड्रा किसी घोटाले में लिप्त थें या हैं तो उन्हें जेल क्यों नहीं हो रही?

अब बात अमीश देवगन की…

अमिश देवगन ने पिछले 24 घंटे में अपने ट्विटर पर तीन ऐसी वीडियो पोस्ट की है जिसमे वो राफेल को समझाते नजर आ रहे हैं। लेकिन हकीकत ये है कि अमिश देवगन को खुद भी राफेल के बारे में मामूली जानकारी भी नहीं है। कोई समझदार व्यक्ति अमीश की वीडियो को देखकर माथा पीट ले।

असली गोदी पत्रकार क्या होता है, कैसे कुतर्क करता है, ये वीडियो उसका सटीक उदाहरण है। अगर आंख बंद करके इस वीडियो को सुना जाए तो पता नहीं चलेगा कि बीजेपी प्रवक्ता बोल रहा है या न्यूज एंकर। वैसे तो पत्रकारिता का कोई स्वर्णिम युग नहीं रहा लेकिन ये सबसे बुरा दौर है ये यकीन से कहा जा सकता है।

अमीश अपने वीडियो में मोदी सरकार से एक भी सवाल नहीं पूछते जबकि सत्ता में बीजेपी है। नया सौदा मोदी सरकार में हुआ है। और सभी आरोप भी बीजेपी पर ही है। लेकिन अमिश सवाल सारे कांग्रेस से पूछे रहे हैं।

हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को राफेल का कॉन्ट्रैक्ट क्यों नहीं दिया इसके एक्सप्लेन करते हुए अमीश बताते हैं कि HAL को कॉन्ट्रैक्ट न मिलना एक ‘चूक’ है। इससे क्यूट कुतर्क और क्या हो सकता है?

जिस सरकारी कंपनी हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (HAL ) को 50 से अधिक विमान बनाने का अनुभव है। साठ साल पुरानी यह कंपनी डील के आख़िरी चरण में शामिल है लेकिन अचानक ग़ायब कर दी जाती है और अनिल अंबानी की नई बनी कंपनी साझीदार बन जाती है। ऐसा होना क्या चूक है?

इससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि डील से दो दिन पहले भारत के विदेश सचिव का कहना था कि HAL राफेल सौदै में शामिल है। उसके कुछ दिन पहले डास्सो एविएशन के चेयरमैन ने कहा था कि “हमने रफाएल के बारे में बात की है। हम HAL के चेयरमैन से इस बात पर सहमत हैं कि हम प्रोडक्शन की ज़िम्मेदारियां साझा करेंगे। मैं मानता हूं कि करार अंतिम चरण में है और जल्दी ही इस पर दस्तख़त हो जाएंगे।“ इसका मतलब साफ है कि अनिल अंबानी को सौदे के अंतिम चरण शामिल किया गया।

मुद्दा राफेल का चल रहा है लेकिन अमीश ने अपना पूरा एक वीडियो ‘अगस्ता वेस्टलैंड’ और ‘बोफोर्स’ को समर्पित कर दिया है। समझ नहीं आता कि जब मुद्दा राफेल है तो चर्चा ‘अगस्ता वेस्टलैंड’ और ‘बोफोर्स’ पर क्यों करना? और अगर कांग्रेस ने घोटाला किया भी है तो क्या बीजेपी का भी फर्ज बनता है कि वो घोटाला करे?

‘अगस्ता वेस्टलैंड’ और ‘बोफोर्स’ के लिए जब कांग्रेस से सवाल पूछना था पूछा गया। इसकी वजह से कांग्रेस सत्ता से भी बाहर हुई। लेकिन अभी तो मुद्दा राफेल है न और सत्ता में बीजेपी…

अमीश को इससे बहुत दिक्कत है कि पीएम को चोर क्यों कहा गया? वो इस बात को लेकर बहुत परेशान हैं अपने वीडियो में। बीजेपी और खुद पीएम मोदी भी अमिश जितना परेशान नहीं होंगे। भारतीय राजनीति में ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब प्रधानमंत्री को चोर कहा गया। राजीव गांधी और मनमोहन सिंह के लिए भाजपा नेताओं ‘चोर’ शब्द का खूब इस्तेमाल किया।

जब राजीव गांधी का नाम ‘बोफोर्स घोटाला’ से जुड़ा तब देश भर में विपक्षी पार्टियों ने चुनाव में नारा लगाया था- गली गली में शोर है, राजीव गांधी चोर है।

वर्तमान में सांसद और भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने 2013 में एक ट्वीट किया था। उसमे उन्होंने लिखा, ‘#PMChorHai, नहीं यह सरकार चोरों की बारात है। भ्रष्ट/ हेल्पलेस/ पपेट पीएम?’

लेकिन तब किसी पत्रकार ने प्रधानमंत्री के लिए अमिश जैसे विलाप नहीं किया। क्योंकि जो सत्ता में होता है उससे सवाल होते हैं, आरोप लगते हैं, ये कोई नई बात नहीं है। लेकिन एक पत्रकार का सत्ताधारी नेता के लिए रोना जरूर नई बात है।

राफेल मुद्दे पर जिस तरह अमिश भाजपा को डिफेंड कर रहे हैं वैसे खुद बीजेपी भी नहीं कर रही है। अमीश का कहना है कि UPA के समय राफेल सौदा हुआ ही नहीं था सिर्फ बात हुई थी। लेकिन ये अधूरी बात है। राफेल को लेकर कांग्रेस के वक्त लंबा प्रोसेस चला था और सबकुछ बहुत ही प्रोफेशनल ढंग से हुआ था।

अमीश का कहना है कि जब कांग्रेस कह रही है कि उनकी सरकार में सौदा हो गया था तो उन्होंने ले क्यों नहीं लिया? लेकिन अमिश को शायद पता नहीं कि डिफेंस डील बहुत जल्दी नहीं होती। जब तक बात नहीं बनती तब तक तोल मोल चलता रहता है।

सवाल है कि कांग्रेस के वक्त सौदा फाइनल क्यों नहीं हुआ?

इसके दो मुख्य कारण है। पहला की UPA सरकार चाहती थी कि फ्रांस की Dassault ज्यादातर विमान भारत में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिलकर बनाए, ताकी HAL भी तकनीक को सीख सके। लेकिन Dassault का कहना था कि जो विमान वो भारत में HAL के साथ मिलकर बनाएगी उसके क्वालिटी कंट्रोल की गारंटी नहीं ले सकती।
दूसरी वजह कीमत पर सहमती ना बन पाना और रक्षा मंत्री ए के एंटनी की लापरवाही।

अब एक बार फिर अमीश के वीडियो पर लौटते हैं। अमिश अपने वीडियो में जो जो बाते कहते हैं उससे एक बात साफ हो जाती है कि उन्हें राफेल विमान के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वो राफेल पर इसलिए बोल रहे हैं कि क्योंकि उन्हें बीजेपी का बचाव करना है।

वो अपने वीडियो में कहते हैं कि UPA के वक्त जो राफेल खरीदा जा रहा था उससे न्यूक्लियर मिसाइल नहीं लाया और ले जाया सकता था। अब अमीश को कौन बताए कि राफेल आचार पापड़ ढ़ोने के लिए नहीं होता। उसका मुख्य काम ही न्यूक्लियर मिसाइल को कैरी करना है। अब बस… अमिश ने अपने वीडियो में कई गलत तथ्य बताए, कई कुतर्क दिए। पूरे वीडियो का विश्लेषण करना खुद को प्रताड़ित करना है।

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