भारत जैसे विविधताओं वाले देश में कोई एक भाषा नहीं बोली जाती है। यही वजह है कि आज भी देश में राष्ट्र भाषा नही है यहां तक की जो पूरे देश में बहुमत से बोली जाने वाली हिंदी को भी राष्ट्र भाषा का दर्जा नहीं दिया गया है। हिंदी भाषा उत्तर भारत में बहुत प्रचलित है मगर इसका उपयोग दक्षिण भारत में काफी कम है, इसी तरह दक्षिण भारतीय भाषाएं जैसे तमिल, मलयालम और तेलुगु का प्रयोग उत्तर भारत में बहुत ही कम होता है।
मगर देश के गृहमंत्री अपनी राष्ट्रवादी सोच दबा ही नहीं पा रहें हैं। हिंदी दिवस के मौके पर उन्होंने कुछ ऐसा बयान दिया है जो ‘एक देश एक भाषा’ की वकालत करता है। बल्कि भारत में ये मुमकिन ही नहीं की किसी को एक भाषा बोलने पर मजबूर किया जाए।
गृहमंत्री शाह ने कहा कि आज हिंदी दिवस के अवसर पर मैं देश के सभी नागरिकों से अपील करता हूं कि हम अपनी- अपनी मातृभाषा के प्रयोग को बढाएं और साथ में हिंदी भाषा का भी प्रयोग कर देश की एक भाषा के पूज्य बापू और लौह पुरूष सरदार पटेल के स्वप्न को साकार करने में योगदान दें।
शाह यही नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने।
#WATCH: Union Home Min Amit Shah says,"Diversity of languages&dialects is strength of our nation. But there is need for our nation to have one language,so that foreign languages don't find a place. This is why our freedom fighters envisioned Hindi as 'Raj bhasha'." #HindiDiwas pic.twitter.com/h0BK2ofH7N
— ANI (@ANI) September 14, 2019
भारतीय संविधान ने जिन 22 भाषाओं को मान्यता दी है। उनमें असामी, बंगाली, बोडो, डोगरी गुजराती, हिंदी, कन्नड़ा, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिलि, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, ओड़िया पंजाबी, संस्कृत, संथाली,तमिल,तेलगु और उर्दू जैसी भाषाएँ शामिल है। इसके बावजूद देश में अभी तक किसी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं है।
इसके साथ ही भारत में 29 भाषाएं ऐसी हैं उनको बोलने वालों की संख्या 1000000 (दस लाख) से ज्यादा है| वहीं 7 भाषाएं ऐसी बोली जाती है जिनको बोलने वालों की संख्या 1 लाख से ज्यादा है। भारत में 122 ऐसी भाषाएं हैं जिनको बोलने वालों की संख्या 10000 (दस हज़ार) से ज्यादा है।
अब अगर शाह के बयान पर गौर करें ये क्या ऐसा होना मुमकिन है? ये बड़ा सवाल है। क्योंकि क्या सरकार एक भाषा को राष्ट्रभाषा बताकर अन्य भाषाओँ वालों का अपमान नहीं कर रही है? सबसे पहले खाने पीने की चीज़े तय हुई कि क्या खाया जाए या नहीं फिर बच्चे कितने पैदा हो इसपर बहस हुई अब हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी को राष्ट्र भाषा बनने की बात कही है।
वहीं शाह के बयान का विरोध भी शुरू हो गया है। पुडुचेरी के सीएम नारायणसामी ने प्रतिक्रिया दी है उन्होंने अकेले हिंदी को आगे बढ़ाने की कोशिश देश को साथ रखने वाली नहीं है।
उन्होंने कहा कि हमें सभी धर्मों, संस्कृतियों और भाषाओं का सम्मान करना होगा, यही भारतीय शासन का मुख्य मंत्र है। मुझे लगता है कि गृह मंत्री समीक्षा करेंगे क्योंकि तमिलनाडु के लोगों की भावनाएं प्रभावित होती हैं और तमिल लोगों का बहुत विरोध होता है। मुझे आशा है और विश्वास है कि गृह मंत्री दक्षिणी क्षेत्र के लोगों की भावनाओं पर विचार करेंगे।
Puducherry CM V Narayanasamy: I think Home Minister will review because sentiments of the people of Tamil Nadu are affected and there is lot of opposition from Tamil people. I hope and trust Home Minister will consider the sentiments of the people of southern region. https://t.co/f49KAwi8Nf pic.twitter.com/qnKLNffitg
— ANI (@ANI) September 14, 2019