हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पूर्व प्रमुख टी सुवर्णा राजू के बयान के बाद मोदी सरकार बुरी तरह फंस चुकी है। अब तक मोदी सरकार राफेल विमान की कीमत बढ़ाने के कई कारण बता रही थी। लेकिन राजू ने जो खुलासा किया है उसके बाद सरकार विमान के दाम बढ़ाने का उचित कारण देने की स्तिथि में नहीं है।

मोदी सरकार पर आरोप है कि वो 560 करोड़ रुपए में खरीदे जाने वाला राफेल विमान 1660 करोड़ रुपए में खरीद रही है। इस पर सरकार ने कहा कि ये विमान सस्ता ही है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये तक कह दिया कि भारत की विमान बनाने वाली सरकारी कंपनी एचएएल इस विमान को बनाने में तकनीकी रूप से कई मामलों में सक्षम नहीं थी।

लेकिन अब एचएएल के पूर्व प्रमुख टी सुवर्णा राजू ने कहा है कि एचएएल ये विमान भारत में बनाने में पूरी तरह से सक्षम था। इस विमान के लिए ठेका फ़्रांस की कंपनी को इसलिए ही दिया गया था कि वो विमान को सस्ते में बनाकर दे रहा था।

राजू ने हिंदुस्‍तान टाइम्‍स से कहा, ‘जब एचएएल 25 टन का सुखोई, चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान जिसे वायुसेना मुख्‍य रूप से इस्‍तेमाल करती है, बना सकती है तो हम क्‍या बात कर रहे हैं? हम जरूर ऐसा (राफेल विमान बना) कर लेते।’

राजू ने कहा कि एचएएल पिछले 20 साल से मिराज-200 एअरक्राफ्ट की देखरेख कर रही है, जिसे राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्‍ट ने ही बनाया है। भारत में बनने वाले राफेल की कीमत ज्‍यादा होती, यह एक बड़ी वजह थी जिसके चलते यूपीए सरकार में सौदा पूरा नहीं हो पाया था। गौरतलब है कि यह पहली बार है जब एचएएल से किसी ने सार्वजनिक रूप से सौदे पर टिप्‍पणी की है।

HAL के पूर्व प्रमुख ने साबित किया रक्षामंत्री सीतारमण ने बोला था झूठ, बोले- हम भारत में ही बना सकते थे राफेल विमान
अव सवाल ये उठता है यूपीए सरकार में देश से बाहर इसका ठेला इसलिए ही दिया गया कि ये सस्ता दामों में बन जाए तो मोदी सरकार पहले से तीन गुना ज़्यादा दामों पर इसे फ़्रांस से क्यों ले रही है? क्यों मोदी सरकार की नई डील में विमान के दाम इतने ज़्यादा बढ़ गए? जब इतने खर्च में विमान देश में तैयार हो सकता है तो क्यों पैसा विदेश की कंपनी को दिया जा रहा है?

क्या मोदी सरकार द्वारा अनिल अंबानी को फायदा पहुँचाने का विपक्ष का आरोप सही है!

क्या है विवाद
राफेल एक लड़ाकू विमान है। इस विमान को भारत फ्रांस से खरीद रहा है। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने विमान महंगी कीमत पर खरीदा है जबकि सरकार का कहना है कि यही सही कीमत है। ये भी आरोप लगाया जा रहा है कि इस डील में सरकार ने उद्योगपति अनिल अंबानी को फायदा पहुँचाया है।

राफेल पर मोदी सरकार का दावा निकला झूठ! उपकरणों के साथ सिर्फ एक विमान मिलेगा, 35 विमान खाली मिलेंगे
बता दें, कि इस डील की शुरुआत यूपीए शासनकाल में हुई थी। कांग्रेस का कहना है कि यूपीए सरकार में 12 दिसंबर, 2012 को 126 राफेल विमानों को 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर (तब के 54 हज़ार करोड़ रुपये) में खरीदने का फैसला लिया गया था। इस डील में एक विमान की कीमत 526 करोड़ थी।

इनमें से 18 विमान तैयार स्थिति में मिलने थे और 108 को भारत की सरकारी कंपनी, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), फ्रांस की कंपनी ‘डासौल्ट’ के साथ मिलकर बनाती। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी फ़्रांस यात्रा के दौरान इस डील को रद्द कर इसी जहाज़ को खरीदने के लिए में नई डील की।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई डील में एक विमान की कीमत लगभग 1670 करोड़ रुपये होगी और केवल 36 विमान ही खरीदें जाएंगें। नई डील में अब जहाज़ एचएएल की जगह उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी बनाएगी।

जबकि अनिल अम्बानी की कंपनी को विमान बनाने का कोई अनुभव नहीं है क्योंकि ये कंपनी राफेल समझौते के मात्र 14 दिन पहले बनी है। साथ ही टेक्नोलॉजी ट्रान्सफर भी नहीं होगा जबकि पिछली डील में टेक्नोलॉजी भी ट्रान्सफर की जा रही थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here