इलाहाबाद का नाम बदले जाने को लेकर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि रामपुर में बहुसंख्यक होने के बावजूद मुसलमानों ने इसका नाम मुस्तफाबाद नहीं रखा।

इससे पता चलता है कि मुसलमान सेकुलर है और वह राम और मुस्तफा में फर्क नहीं करता।

आज़म खान ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि किसी ज़माने में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज का नाम बदला गया था। तब दुनियाभर में उसका विरोध हुआ और नाम किंग जॉर्ज ही रहा।

ऐसे ही रामपुर हमेशा से मुस्लिम बहुल इलाका रहा लेकिन इसका नाम रामपुर ही रहा, मुस्तफाबाद नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि नाम तो दिलों पर लिखी हुई इबारत होती है इसे बदला नहीं जा सकता।

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सपा नेता ने आशंका जताते हुए कहा कि सरकार का अगला कदम ये होगा, कि मुसलमान अपने नाम भी बदलें।  वहीं भारतीय जनता पार्टी की 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी पर आजम खान ने कहा कि बीजेपी हमारी बात माने तो 10 करोड़ नौजवानों को नौकरी दे या ताजमहल गिराकर शिव मंदिर बनाए।

सपा नेता के नाते हम कह रहे हैं शिव मंदिर बनाए। बाबरी मस्जिद गिराई जा सकती है, क्योंकि उसकी कोई कीमत नहीं थी। ताजमहल से करोड़ों रुपए कमाई होती है।

इससे पहले सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इलाहाबाद का नाम प्रयाग राज किए जाने को परंपरा और आस्था से खिलवाड़ करार दिया था।

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अखिलेश यादव ने सोमवार को किए अपने ट्वीट में लिखा कि राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से ‘प्रयाग कुम्भ’ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं। इन्होंने तो ‘अर्ध कुम्भ’ का भी नाम बदलकर ‘कुम्भ’ कर दिया है. ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है।

बता दें सोमवार को योगी कैबिनेट ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी थी। जिसके बाद यह ऐलान किया गया था कि कुंभ से पहले इलाहाबाद को प्रयागराज नाम से जाना जाएगा।

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