बीजेपी इन दिनों भले ही केंद्र की सत्ता में विफल चल रही हो, सुस्त अर्थव्यवस्था को जगाने में लगी हो। मगर विपक्षी दल के तौर पर बीजेपी उसके अन्य विपक्षी दल से बेहतर कर रही है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में बिजली के दाम बढ़ने पर विरोध प्रदर्शन ना करने वाली BJP पश्चिम बंगाल की ममता सरकार द्वारा बढ़ाये गए बिजली के दरों पर प्रदर्शन करती हुई नज़र आती है।

अब नया मामला छत्तीसगढ़ में देखने को मिल रहा है। जहां BJP ने बैलेट पेपर की जगह ईवीएम से निकाय चुनाव कराने को लेकर चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा है। कांग्रेस शासित प्रदेश में बीजेपी ने इसे बकायदा मुद्दा बना चुकी है।

दरअसल छत्तीसगढ़ में निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ है। इस सिलसिले में बीजेपी ने ऐसी मांग की जहां से ईवीएम और सवाल खड़े होने लगे है। बीजेपी ने मांग कि है हम चाहते है की निकाय चुनाव बैलेट पेपर की जगह ईवीएम से कराया जाए।

UP में बिजली के दाम 12% बढ़ाने वाली BJP बंगाल में बिजली के दाम बढ़ने पर विरोध प्रदर्शन कर रही है

भाजपा की इस मांग पर सीएम भूपेश बघेल ने पलटवार करते हुए कहा है कि नगरीय निकाय चुनाव से पहले भाजपा इतनी भयभीत क्यों है? यदि चुनाव बैलेट पेपर से कराया जाएगा तो क्या हो जाएगा। पहले भी तो ईवीएम से चुनाव होते थे, तो अब क्या दिक्कत है।

मीडिया से बात करते हुए प्रदेश अध्यक्ष और भाजपा नगरीय निकाय चुनाव समिति के अध्यक्ष बृजमोहन अग्रवाल अग्रवाल ने बताया कि चार बिंदुओं पर ज्ञापन सौंपकर कार्रवाई की मांग की गई है।

इसमें मतदाता सूची के लिए दावा आपत्ति की तिथि 16 सितंबर तक के समय को बढ़ाने की मांग की गई है। इसके साथ ही मतदाता सूची के भौतिक सत्यापन की भी मांग की गई है। उन्होंने बताया कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने की बात सामने आई है, जिस पर बात की गई है कि बैलेट पर असुविधा होती है हम अपग्रेड हो इसलिए ईवीएम से चुनाव होना चाहिए।

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वही इस मामले पर कांग्रेस मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस कि निकाय चुनाव ईवीएम से होंगे या बैलेट पेपर से, यह अभी तय नहीं हुआ है। बैलेट पेपर से चुनाव होने की चर्चा मात्र से भाजपा के लोग तिलमिला गई है।

इससे साफ हो गया है कि भाजपा की जान EVM में बसती है। चुनाव के लिए कौन सा तरीका अपनाया जाएगा, यह फैसला लेने का अधिकार निर्वाचन पदाधिकारी का है। शुक्ला का कहना है कि भाजपा जब केंद्र में विपक्ष में थी, तब ईवीएम का विरोध करती थी। मोदी सरकार आने के बाद से अचानक ईवीएम की समर्थक बन गई।

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