भाजपा की सरकार पर प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाने वाले उद्योगपति गौतम अडानी को फायदा पहुँचाने के आरोप लग रहे हैं। इसके बावजूद भी भाजपा शासित राज्यों में अडानी समूह पर होती महरबानियाँ कम होती नहीं नज़र आ रही हैं। झारखण्ड में एक बार फिर से सरकार ने जनता का हक़ मारकर अडानी समूह को 558.36 करोड़ रुपए का फायदा पहुँचाया है।

झारखण्ड के गोड्डा क्षेत्र में अडानी समूह एक बिजली का प्लांट बना रहा है। इस प्लांट से बांग्लादेश को बिजली दी जाएगी। अडानी समूह ने बांग्लादेश सरकार से बिजली देने का समझौता किया है। ये प्लांट पहले से ही विवादों में है क्योंकि इसके लिए राज्य के कानून को बदला गया है।

झारखण्ड के कानून के मुताबिक, अगर कोई वहां बिजली प्लांट की स्थापना करता है तो उसे उत्पादन हुई बिजली का 25% राज्य सरकार को बेचना पड़ता है।

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लेकिन अडानी समूह के लिए वर्ष 2012 की इस बिजली नीति को अक्टूबर 2016, में बदल दिया गया। इसके चलते राज्य को 7410 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।

इसपर बोलता हिंदुस्तान पहले ही स्टोरी कर चुका है। लेकिन अब इसी मामले से सम्बंधित राज्य सरकार ने अडानी समूह के लिए दूसरा कानून बदला है। और इसका सीधा नुकसान जनता को होने वाला है।

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दरअसल, अडानी समूह जो बिजली का प्लांट लगा रहा है उसके लिए उसे ज़मीन चाहिए। हमेशा की तरह ये ज़मीन किसानों और आदिवासियों से ली जाएगी। इस ज़मीन खरीद के लिए सरकार ने नियम बदल दिए हैं जिस से अडानी समूह को तो फायदा हो रहा है लेकिन राज्य की आम जनता का बड़ा नुकसान है।

जिस क्षेत्र की ज़मीन अडानी समूह को चाहिए, साल 2014 में वहां के तत्कालीन उपायुक्त ने उस जमीन की कीमत प्रति एकड़ करीब 40 लाख तय की थी, लेकिन अब सरकार ने नई कमिटी बनाकर उस ज़मीन की कीमत न्यूनतम छह लाख और अधिकतम 13 लाख प्रति एकड़ तय करा दी है।

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झारखंड में जमीन अधिग्रहण की स्थिति में बाज़ार भाव का चार गुना मुआवज़ा देने का प्रावधान है। पहले की कीमत के मुताबिक, प्रति एकड़ ज़मीन पर आम जनता को 1.60 करोड़ का मुआवज़ा मिलता। लेकिन नई कीमत के मुताबिक अब ये मुआवज़ा 52 लाख रुपए से ज़्यादा नहीं होगा।

अडानी समूह ने अपने बिजली प्लांट के लिए 517 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किया है। तो उसे इस अधिग्रहण के लिए उन्हें 52 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से 268.84 करोड़ रुपए देने होंगें। वहीं, अगर पुरानी कीमत के हिसाब से देखें तो अडानी समूह को 827.2 करोड़ रुपए चुकाने पड़ते
मतलब अडानी को 558.36 करोड़ रुपए का फायदा हुआ और जनता को इतने का ही नुकसान।

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