गुजरात के नर्मदा ज़िले में सरदार पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के उद्घाटन का विरोध अब तेज़ हो गया है। प्रतिमा का विरोध कर रहे जनजातीय समुदाय के लोगों ने पीएम मोदी और ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ की तस्वीर वाले पोस्टरों को फाड़ दिया है, साथ ही कुछ पोस्टरों पर कालिख भी पोती है।

शनिवार को एक अधिकारी ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि पूरे जिले में प्रदर्शनकारियों द्वारा पीएम मोदी, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और समारोह की तस्वीर वाले 90 फीसदी पोस्टरों को फाड़ दिया गया या उन पर कालिख पोत दी गई।

एक जनजातीय नेता प्रफुल वसावा ने कहा, “यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि जनजातीय समुदाय बीजेपी से कितना असंतुष्ट है। उन्होंने जनजातीय समुदाय के सबसे बेशकीमती संसाधन उनकी जमीनों को कथित विकास कार्यों के लिए छीन लिया।”

उन्होंने कहा, “अधिकारियों ने फटे पोस्टरों को नए पोस्टर से बदल दिया है और पुलिस इन पोस्टरों की सुरक्षा कर रही है। यह दुनिया में शायद पहली बार हो रहा है कि किसी प्रधानमंत्री के पोस्टरों की सुरक्षा पुलिस द्वारा की जा रही है।”

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उन्होंने कहा, “नर्मदा के जनजातीय समूह साल 2010 से इस प्रोजेक्ट का विरोध कर रहे हैं और अब पूरे प्रदेश की जनता इसके विरुद्ध है।” इस परियोजना से प्रभावित जनजातीय समुदाय के लगभग 75,000 लोगों ने स्टैच्यू का विरोध करने के लिए 31 अक्टूबर को बंद बुलाया है।

प्रफुल वसावा ने कहा, “बनासकांठा से डांग जिले तक, नौ जनजातीय जिले इस प्रदर्शन में शामिल होंगे और बंद केवल स्कूलों, कार्यालयों या व्यापारिक प्रतिष्ठानों तक ही सीमित नहीं होगा, बल्कि घरों में भी खाना नहीं बनेगा।” परंपरा के अनुसार, जनजातीय गांवों में जब लोग मौत का शोक मनाते हैं,तो उनके घरों में खाना नहीं पकता है।

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उन्होंने आगे कहा, “जनजातीय के रूप में सरकार ने हमारे अधिकारों का हनन किया है। गुजरात के महान सपूत के खिलाफ हमारा कोई विरोध नहीं है। सरदार पटेल और उनकी इज्जत बनी रहनी चाहिए। हम विकास के भी खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह परियोजना हमारे खिलाफ है।”

बता दें कि सरदार पटेल की जयंती पर आगामी 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का उद्घाटन करेंगे। विंध्याचल और सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच नर्मदा नदी के साधु बेट टापू पर बनी दुनिया की सबसे ऊंची इस प्रतिमा को बनाने में करीब 2389 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

2 COMMENTS

  1. 2400 करोड़ से ,देश के युवा बेरोजगारों को ,अच्छा रोजगार दिया जा सकता था, मूर्तियों पर, चिड़िया और कौओं की बीट इकटठी होने के अलावा कोई उपयोग नही ।

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