देश के आर्थिक हालात धीरे-धीरे मंदी के तरफ बढ़ते जा रहे है। जीडीपी में आई भारी गिरावट के बाद अब कमर्शियल सेक्टर के प्रवाह में करीब 88% तक की गिरावट दर्ज की गई है। RBI के अनुसार, 2019-20 में अब तक कमर्शियल सेक्टर में बैंकों और गैर-बैंकों के फंड का प्रवाह 90,995 करोड़ रहा जो पिछले साल समान अवधि में 7,36,087 था।

दरअसल बैंकों की तरफ से कमर्शियल सेक्टर का नॉन फूड क्रेडिट फ्लो में भी गिरावट देखने को मिल रही है। यह 1,65,187 से रिवर्स फ्लो होकर 93,688 हो गया है। नॉन-बैंक्स की तरफ से सबस्क्राइब किया जाने वाला कमर्शियल पेपर की नेट इश्यूएंस 2,53,669 से घट कर सितंबर के मध्य तक 19,118 करोड़ पहुंच चुका है।

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कमर्शियल सेक्टर में 1,25,6000 करोड़ का रिवर्स फ्लो देखने को मिल रहा है। यह कमर्शियल सेक्टर से नॉन-डिपोजिट टेकिंग एनबीएफसी की तरफ है। जनसत्ता के अनुसार, केंद्रीय बैंक ने साल 2019-20 के लिए सकल घरेलू उत्पाद में विकास की दर में अपने पहले के अनुमान 6.9 फीसदी की दर में कटौती करते हुए इसके 6.1 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया।

कमर्शियल सेक्टर में वित्तीय संसाधनों का ओवरऑल फ्लो में कमी मुख्य रूप से बैंकों की तरफ से लोन देने में कमी के कारण है। यह साफ तौर पर कमजोर मांग और जोखिम से बचने का परिणाम है।

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बता दें कि इससे पहले भारतीय रिज़र्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) की समीक्षा बैठक में यह फैसला लिया था। इस बैठक में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी का अनुमान 6.9 फीसदी बताया था मगर जब आरबीआई ने अपनी बैठक दुबारा की तब उसने इसे घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है।

जबकि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी का अनुमान 7.2 फीसदी कर दिया है। इससे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के पांच ट्रिलियन यानी 50 खरब इकोनॉमी बनने की कवायद को झटका लग सकता है।

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