दिल्ली यूनिवर्सिटी के चुनावों में मतगणना के दौरान ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद चुनाव आयोग ने सफाई दी है। आयोग का कहना है कि डूसू चुनावों में इस्तेमाल की गई मशीनों का चुनाव आयोग से कोई लेनादेना नहीं है।

दरअसल, डूसू चुनावों में ईवीएम में गड़बड़ी की ख़बरें सामने आने के बाद चुनाव आयोग की चौतरफ़ा किरकिरी हो रही थी। लोग चुनाव आयोग की ईवीएम मशीनों पर सावल उठा रहे थे कि जो ईवीएम एक यूनिवर्सिटी का चुनाव नहीं करा पाया वो दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव कैसे करा पाएगा।

आलोचनाओं को देखते हुए चुनाव आयोग ने सफ़ाई दी कि दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव के लिए हमने कोई ईवीएम नहीं दी और ना ही राज्य निर्वाचन आयोग ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को कोई मशीनें उपलब्ध कराई हैं।

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आयोग ने कहा कि मुमकिन है छात्र संघ चुनावों में इस्तेमाल की गई मशीनें यूनिवर्सिटी प्रशासन ने निजी तौर पर तैयार कराई हों। आयोग के मुताबिक उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन से इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा था, लेकिन अधिकारियों के चुनाव में व्यस्त होने के चलते अभी तक रिपोर्ट नहीं मिल पाई है।

चुनाव आयोग की इस सफ़ाई के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शकील अहमद ने कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने पूछा कि जब चुनाव आयोग ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को ईवीएम नहीं दिया तो क्या यूनिवर्सिटी ने इसे बाज़ार से ख़रीदा, क्या बाज़ार में ईवीएम मिल रहा है?

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उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “जब दिल्ली विश्विद्यालय को न चुनाव आयोग ने और न ही मुख्य चुनाव अधिकारी, दिल्ली, ने EVM दिया तो क्या दिल्ली विश्विद्यालय ने खुले बाज़ार से EVM ख़रीद कर छात्र संघ के चुनाव में इस्तेमाल किया? क्या बाज़ार मे EVM उपलब्ध है”?

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