उत्तर प्रदेश में पत्रकारिता करना अब किसी जुर्म से कम नहीं है। कभी पत्रकार को रिपोर्ट दिखाने के लिए रिपोर्ट कर दी जाती है तो कभी उसे सिर्फ सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखने पर घर से उठाकर सीधे जेल में ठूस दिया जाता है। अभी मिर्ज़ापुर के नून रोटी का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और पत्रकार को वीडियो शूट करने के चलते भीड़ का शिकार होना पड़ा।

दरअसल बीते सोमवार को मिर्ज़ापुर के सद्दूपुर क्षेत्र में हिंदी समाचार पत्र के पत्रकार कृष्ण कुमार सिंह एक मृतक महिला का पोस्टमार्टम कर रहे चिकित्सक डा. वीके तिवारी और डा. जमील अनवर को विपक्षियों द्वारा किसी बात को लेकर मारने के लिए गेट के अंदर जाने का प्रयास करते देखा। जिसकी वो फोटो व वीडियो बनाने लगे।

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फिर क्या था भीड़ ने जब उन्हें देखा तो उग्र भीड़ पत्रकार पर टूट पड़ी वहां मौजूदा उग्र भीड़ ने पत्रकार को जमकर पीटा और उनके कपड़े तक फाड़ दिए। हैरान करने वाली बात ये थी कि ये सभी घटना पुलिस की मौजूदगी में हो रही थी और पुलिस सिर्फ बीच बचाव ही करती नज़र आ रही थी।

सोशल मीडिया पर वायरल होते वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि पत्रकार ना सिर्फ पुरुष पीट रहें बल्कि महिलाएं भी जमकर उसे पीट रही है। पत्रकार ने उग्र हुई भीड़ पर 14 हजार रुपए भी छीन लेने का आरोप लगाया गया है। पत्रकार ने इस मामले में पांच लोगो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है।

सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने पत्रकार को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया जहां उसका उपचार चल रहा है। इस बीच पत्रकार की तहरीर पर पांच लोगों के खिलाफ नामजद एफआइआर दर्ज करायी गई है।

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बता दें कि पिछले दिनों सरकार स्कूल में बच्चों को दिए जाने वाले मेड-डे मिल में रोटी नमक देने पर रिपोर्ट बनाने वाले पवन जयसवाल के खिलाफ डीएम ने रिपोर्ट दर्ज करा दी थी। जिसे लेकर डीएम ने बाद में ये बयान दिया था कि पत्रकार अगर प्रिंट का था तो उसे फोटो खिचनी चाहिए तो वीडियो नहीं बनाना चाहिए था।

7 COMMENTS

  1. बलात्कारी जानलेवा पार्टी की सरकार में इससे अच्छा उम्मीद करना भी नाइंसाफी ही होगा।

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