जातिवाद भारतीय समजा की क्रूर सच्चाई है। जाति को लेकर शर्म और शौर्य भारतीय जनमानस की मानसिकता का हिस्सा है। भारत में जिन जातियों ने सदियों तक दलितों का दमन-शोषण किया वो लोकतंत्र की आर में भी ऐसे मौके ढूंढते रहते हैं।

ताजा उदाहरण दिल्ली सरकार के एक विभाग में देखने को मिला है।

दरअसल 13 अक्टूबर को दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित DSSSB की प्राइमरी शिक्षक भर्ती परीक्षा थी। इस परीक्षा में पूछे गए कुछ प्रश्न भारतीय समाज में पल रहे जातिवाद की गवाही देते हैं।

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प्रश्न में संविधान द्वारा निषेधित जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। ये सवाल उन अध्यापकों प्रोफेसरों की मानसिकता पर सवाल खड़ा करता है जिन्होंने इसे प्रश्नपत्र में जगह दी।

कायदे से प्रश्नपत्र तैयार करने वाले टीचर/प्रोफेसर पर SC/ST एट्रोसिटी एक्ट के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।

दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया आए दिन दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था का बखान करते हैं। जरूरत है कि सिसोदिया इस मुद्दे पर भी सामने आएं।

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