देश में इन दिनों आरक्षण को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ी हुई है। संपन्न समाज के लोगों का कहना है कि आरक्षण का फायदा उठाया जा रहा है, इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। मगर ऐसा बयान देने से पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत कई बड़े बुद्धिजीवी ये भूल गए कि आरक्षण कोई गरीबी उन्मूलन योजना नहीं है। आरक्षण पर इस तरह बात करने वाले लोग समानता पर बात नहीं करते हैं। और इस देश में जाति के नाम पर भेद भाव दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।

ऐसा कुछ देखने को मिला है तमिलनाडु के वेल्लोर में अगड़ी जाति के लोगों ने अपनी जाति का दंभ दिखाते हुए एक दलित के शव को श्मशान घाट के लिए ले जाने की इजाजत नहीं दी। इसके बाद शव को श्मशान पहुंचाने के लिए एक नदी पर बने 20 फीट ऊंचे पुल से रस्सी से बांधकर नीचे लाना पड़ा।

इसका जब वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो पुलिस हरकत में आई और जांच के आदेश दे दिए। हैरान करने वाली बात ये है कि आजाद भारत में जहां नरेंद्र मोदी दलित का पाँव धोते हैं, कई मुख्यमंत्री और नेता उनके घर जाकर भोजन करते हैं।

उसी देश में आज ऐसी जगह जहां दलितों के साथ इस तरह भेदभाव होता है। थिम्मामपेट्टी पुलिस स्टेशन के एक पुलिसवाले ने मीडिया को बताया कि ये घटना बीते 17 अगस्त की है। मगर सोशल मीडिया पर अब तीन मिनट से ज्यादा इस वीडियो में ब्रिज से एक शव लटका हुआ है।

ये शव वेल्लोर में रहने वाले एक 46 साल के एक दलित एन कुप्पन का है। इस जगह पर दलितों के लिए अलग श्मशान है। तमिलनाडु में दलितों को आधिकारिक तौर पर आदि द्रविड़ार कहा जाता है। इस मामले में पुलिस का बयान दलित परिवार से बिलकुल अलग है।

पुलिस का कहना है कि, हाल के दिनों में भारी बारिश के कारण नारायणपुरम आदि द्रविड़ार कॉलोनी के श्मशान घाट की स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए इन लोगों ने पालर नदी के करीब एक पुराने श्मशान घाट का इस्तेमाल किया। वहीं दूसरी तरफ एन कुप्पन के एक रिश्तेदार का कहना है कि हमारी घेराबंदी करके हमें रोक गया। दलित परिवार के एक परिजन ने मीडिया से बताया कि हम पुराने रास्ते का ही इस्तेमाल करना चाहते थे।

उनका कहना था कि यह आम रास्ता है और हमारे पूर्वज भी इसका इस्तेमाल करते आए थे। जब हमने रास्ता खोलने को कहा तो उन्होंने ऐसा करने मना कर दिया। उन्होंने कुछ दिन पहले ही इसकी घेराबंदी भी कर दी थी। जब उन्होंने घेरा नहीं हटाया तो हमें मजबूरन पुल से शव को उतारने को मजबूर होना पड़ा। इसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया। पुलिस का कहना है कि घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

मामला बुधवार की शाम को चर्चा में आया। पुलिस ने कहा है कि इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसे सजा दी जाएगी। ये जाति का ही वर्चस्व है जहां एक मृत इंसान की पवित्रता उसकी जाति से तय की जाती है। ये जाति का घमंड है जहां खुद को ऊंचा और दूसरे को गिरी हुई निगाह से दिखा जाता है। ये जाति का ही दंभ है जहां एक इंसान को उसकी आखिरी यात्रा तक पूरी नहीं करने देती है।

गौर करने वाली बात ये है कि सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के दावों से उलट इस देश में जाति के नाम पर लोगों अछूत माना जाता है। उन्हें जीते जी स्कूल में पीछे बैठा दिया जाता है और जवान होते ही शादी की बारात लाने से रोका जाता है और मरने के बाद उसका अंतिम संस्कार भी नहीं करने दिया जाता है।

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