भगोड़े विजय माल्या को लेकर एक नया खुलासा सामने आया है। इसके बाद संदेह के घेरे में सिर्फ अरुण जेटली ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आते हैं। इस पूरे मामले में अब देश की प्रमुख जांच एजेंसी (सीबीआई) की भूमिका सवालों के सायरे में है। और सीबीआई प्रधानमंत्री अधिकार क्षेत्र में आती है।

NDTV ने अपने खबर में बताया है कि जिस दिन विजय माल्या ने मुंबई हवाईअड्डे से उड़ान भर देश छोड़ा यानि 3 मार्च 2016, को उस दिन सीबीआई के तत्कालीन डायरेक्टर अनिल सिन्हा भी मुंबई में ही मौजूद थे। और वो उन्ही बैंकों के अधिकारीयों के साथ बैठक में शामिल होने आए थे जिनका कर्ज विजय माल्या ने नहीं चुकाया है।

विजय माल्या पर देश के बैंकों का 9000 करोड़ से ज़्यादा का कर्ज है जिसे बिना चुकाए वो देश छोड़कर भाग गए। अब बुधवार को उन्होंने लंदन कोर्ट के बाहर बयान दिया है कि वो जाने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिले थे और अपने देश छोड़ने की जानकारी उन्हें दी थी।

इसके बाद इस मामले में अरुण जेटली और केंद्र सरकार की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। पूछा जा रहा है कि विजय माल्या के बताने के बावजूद जेटली ने एजेंसियों को माल्या के जाने के बारे में सूचित क्यों नहीं किया। गौरतलब है कि माल्या पर जून 2015, में ही बैंकों का कर्ज ना चुकाने के कारण एफआईआर हो गई थी।

अब पता चला है कि जिस दिन माल्या ने देश छोड़ा उस दिन सीबीआई के डायरेक्टर भी उन्ही बैंकों के अधिकारीयों के साथ बैठक में थे जिनका का कर्ज माल्या ने नहीं वापस दिया है। वो बैंक अधिकारी इस बात की ही शिकायत सीबीआई डायरेक्टर से कर रहे थे। वहीं, दूसरी तरफ इमिग्रेशन विभाग ने सीबीआई को सूचित किया कि माल्या देश छोड़कर जा रहे हैं।

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उसी शहर में होने के बावजूद सीबीआई डायरेक्टर ने ये जहमत नहीं उठाई की वो अपनी टीम के साथ जाकर माल्या को रोक लें।

इस मामले में जिस तरह से चीज़े सामने आ रही हैं उसके बाद सरकार पर शराब कारोबारी विजय माल्या को भगाने के आरोप बढ़ते जा रहे हैं। इस सब के अलावा ये भी सामने आया है कि वित्त मंत्रालय को कई स्रोतों से माल्या के भागने की जानकारी थी लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया।

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‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के वकील दुष्यंत दवे ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (एसबीआई) को माल्या के भागने की जानकारी तीन दिन पहले ही दे दी थी। इसके बावजूद बैंक ने कोई कदम नहीं उठाया। गौरतलब है कि एसबीआई देश का सबसे बड़ा बैंक है और वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

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