भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने एक बार फिर अर्थव्यवस्था मामले में मोदी सरकार के फैसलों पर सवाल उठाए है। स्वामी ने कहा कि सरकार पांच सालों में ऐसी चीजें करती रही है, जो मैक्रो-इकोनॉमी के लिए बुरी हैं। प्रधानमंत्री ने ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराकर उज्जवला के जरिए मैक्रो-इकोनॉमी में अच्छा काम किया है।
लेकिन मैक्रो-इकोनॉमिक्स पूरी प्रणाली है। और पूरी प्रणाली को गड़बड़ कर दिया गया है, जिसे दुरुस्त करने की जरूरत है और इसे कॉरपोरेट सेक्टर के लिए कर घटाने जैसे किसी एक उपाय से नहीं दुरुस्त किया जा सकता है।
स्वामी ने कहा कि आयकर घटाना एक बहुत ही प्रशंसनीय कदम होता, मध्य वर्ग बहुत खुश होता और वे पैसे बचाते। कॉरपोरेट सेक्टर के साथ दिक्कत यह है कि मांग कम है, इसलिए मांग तभी बढ़ सकती है, जब आम जनता सशक्त होती।
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उन्होंने कहा कि आम जनता को सशक्त करने का मतलब आयकर को खत्म किया जाना चाहिए था। कॉरपोरेट कर घटाना निर्थक है। क्योंकि वे सिर्फ आपूर्ति बढ़ा सकते हैं, लेकिन जब उसका कोई खरीददार नहीं है, फिर आपूर्ति बढ़ाने का कोई परिणाम नहीं मिलने वाला है।
इसके बाद बीजेपी सांसद ने सलाह दी कि हमें हमारी अर्थव्यवस्था के लिए एक नई शुरुआत की जरूरत है। हमने मैक्रो वृद्धि स्तर पर परफार्म नहीं किया। बचत को सही तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया। यदि हमें बेरोजगारी समाप्त करनी है तो देश को अगले 10 वर्षो तक 10 प्रतिशत विकास दर की जरूरत।
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कई सारे कदमों के बाद भी आखिर स्थिति में सुधार क्यों नहीं हुआ? मांग क्यों नहीं बढ़ी? इस सवाल के जवाब में स्वामी ने कहा कि क्योंकि हमारी भाजपा सरकार में जो वित्तमंत्री हैं, उन्हें अर्थव्यवस्था का ज्ञान नहीं है, यही समस्या है।
बता दें कि सुब्रह्मण्यम स्वामी ने ‘रीसेट – रिगेनिंग इंडियन्स इकोनॉमिक लीगेसी’ नाम से एक बुक लांच की है जिमें भारत की अर्थव्यवस्था पर बात की। उन्होंने इसे वापस गति देने के तरीके भी सुझाए है, इस किताब का विमोचन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से करवा गया है।
अब क्या करे हम तो पहले से ही कह रहे थे कि वर्तमान समय में अर्थव्यवस्था विकट संकट के दौर से गुजर रहे हैं अब तो खुद अपने ही लोग प्रश्नचिन्ह खडे कर रहा है सोचनिय विषय है तत्काल ठोस कदम उठाए नही गये तो आने वाले समय में भारत विकट परिस्थीति से गुजरेगा-संजय अजगल्ले जांजगीर लोक सभा छत्तीसगढ 9754509444