क्या अपने प्रधानमंत्री को खुला ख़त लिखना राजद्रोह (Sedition) कहा जा सकता है? कम से कम लोकतांत्रिक देश में तो इसे एक प्रक्रिया ही कहा जाएगा। जिसमें कोई भी अपनी सरकार से शिकायत करते हुए सवाल करें। मगर भारत में ये फ़िलहाल सिर्फ मोदी सरकार में ही मुमकिन है। पिछले कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री मोदी (PM MODI) को खुला पत्र लिख शिकायत करने वाली 50 मशहूर हस्तियों पर राजद्रोह (Sedition) का केस दर्ज कर लिया गया है।

दरअसल लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) ख़त्म होने के बाद दलित-मुस्लिमों (Dalit-Muslim) पर होने वाले बढ़ रहें अत्याचार पर लगाम लगाने के लिए फिल्म निर्देशक अदूर गोपालकृष्णन और अनुराग कश्यप और अपर्णा सेन समेत 49 हस्तियों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था।

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इस पत्र में प्रधानमंत्री मोदी को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का हवाला देते हुए बताया गया था कि सिर्फ साल 2016 में 840 मामले दर्ज हुए जो सिर्फ दलितों के मामले में है। ऐसी घटनाओं पर सिर्फ निंदा करने से काम नहीं चलेगा। इसपर एक्शन लेने की शख्त ज़रूरत है अगर इसे वक़्त पर नहीं लिया गया तो अपराध और बढ़ सकता है।

इसी शिकायत पर वकील सुधीर कुमार ओझा ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) सूर्य कांत तिवारी के आदेश के बाद ये FIR दर्ज कर ली गई है। पुलिस ने जानकारी देते हुए कहा कि इन शख्सियतों के खिलाफ राजद्रोह की धारा लगाई गई है।

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रिपोर्ट दर्ज कराने वाले वकील सुधीर ओझा ने इस मामले पर कहा कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) ने बीते 20 अगस्त को ही याचिका स्वीकार कर ली थी। मगर अब जाकर सदर पुलिस स्टेशन ने FIR दर्ज की है। रिपोर्ट दर्ज कराने वाले वकील का आरोप है कि इन हस्तियों ने देश और प्रधानमंत्री मोदी के छवि ख़राब की है।

वहीं इस मामले पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने की तरफ से कहा गया है कि FIR भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गयी है। इसमें राजद्रोह, उपद्रव करने, शांति भंग करने के इरादे से धार्मिक भावनाओं को आहत करने से संबंधित धाराएं लगाई गईं हैं।

ये पहला मौका नहीं है जब इस तरह से सवाल पूछने वाले पर ही सवाल उठाया जा रहा है। इससे पहले भी कई ऐसे मामलें में जब किसी ने सवाल किया है तो उसे या तो गद्दार कहकर ख़ारिज कर दिया जाता है या फिर उसपर राजद्रोह का मुक़दमा लगा दिया जाता है।

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