जनता से ख़बरें कैसे छुपाई जा रही हैं और उन्हें कैसे तोड़मरोड़ के पेश किया जा रहा है हाल ही में आई अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ( IMF ) की एक रिपोर्ट इसका उदाहरण है।

कोर्पोरेट के हाथों में बिककर सरकार के हाथों का खिलौना बन चुकी गोदी मीडिया आधा सच छुपकर सरकार की छवि बचाने में लगी है।

कुछ दिन पहले ही आईएमएफ ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की। उसके बाद से ही मीडिया ने कहना शुरू कर दिया कि आईएमएफ ने भारत की जीडीपी का अंदाज़ा चीन से ज़्यादा लगाया है। इस बात को लेकर सरकार की पीठ थपथपाने लगी।

 

बताया गया कि IMF ने 2019 के लिए ही चीन की अनुमानित विकास दर 6.2 प्रतिशत बताई है जबकि भारत की 7.4 प्रतिशत। लेकिन क्या ये कोई नई खबर है या इसका इस्तेमाल सिर्फ असली खबर को छुपाने के लिए करा गया।

चीन से भारत की जीडीपी ज़्यादा होना कोई नई बात नहीं है क्योंकि चीन का जीडीपी क्षेत्र हमारे मुकाबले बड़ा है। इस कारण भारत की जीडीपी उससे ज़्यादा होती है क्योंकि हमारा उत्पादन क्षेत्र उस से छोटा है। इसी तरह अमेरिका की जीडीपी भी हमसे बहुत कम ही रहती है।

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लेकिन जो खबर छुपाई गई वो ये थी कि आईएमएफ ने 2019 के लिए भारत की जीडीपी में 0.1 प्रतिशत की कटौती कर इसे 7.4 प्रतिशत कर दिया है। पहले यह 7.5 फ़ीसदी बताई गई थी।

क्या मीडिया को ये नहीं बताना चाहिए कि अनुमान घटाया गया है जो चिंताजनक है, आर्थिक नजरिए से ये एक विफलता मानी जाती है, कोई सफलता नहीं।

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इससे पहले आईएमएफ ने अप्रैल में डब्ल्यूईओ रिपोर्ट जारी की थी जिसमें 2018 के लिए भारत की अनुमानित विकास दर 7.3 और 2019 के लिए 7.5 प्रतिशत थी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कच्चे तेल की कीमतों में इज़ाफ़ा होने से भारत में महंगाई बढ़ेगी। देश में 2018-19 में महंगाई दर 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।

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