मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में किसी भी क्षेत्र से अच्छी ख़बर नहीं आ रही। अर्थव्यवस्था के मामले में पिछड़ने के बाद अब शिक्षा के मामले में भी भारत को ज़ोरदार झटका लगा है। ग्लोबल यूनिवर्सिटी की नई रैंकिंग में टॉप 300 में भारत की एक भी यूनिवर्सिटी को शामिल नहीं किया गया है।

पिछले साल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू (आईआईएससी) ने टॉप 300 की सूची में जगह बनाई थी लेकिन इस बार वो इससे बाहर है। पहले जहां आईआईएससी को 251-300 में जगह मिली थी, इस साल उसकी रैंकिंग 301-350 तक पहुंच गई है। इसका कारण शोध माहौल, पढ़ाई के माहौल और औद्योगिक आय के लिए पैमानों में सुधार पर ज़ोर नहीं देना बताया जा रहा है।

जानकारी के मुताबिक, 2012 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि टॉप 300 में देश की कोई यूनिवर्सिटी नहीं है। दिलचस्प बात तो ये है कि शिक्षा के मामले में ये गिरावट तब आई है जब केंद्र सरकार का पूरा फोकस शोधपरक एवं गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा पर है। सरकार की कोशिश है कि उसके शिक्षण संस्थानों को दुनिया भर में पहचान मिले।

टाइम्स हायर एजुकेशन (टीएचई) की ओर से जारी वर्ल्ड रैंकिंग में यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्‍सफ़ोर्ड फिर से टॉप पर है। यह पिछले साल भी विश्व रैंकिंग में टॉप पर रही थी। दूसरे नंबर पर कैलिफ़ोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय रहे हैं। स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय और एमआईटी को भी टॉप 5 की सूची में जगह मिली है।

इस बीच सुखद ख़बर ये है कि इस बार शीर्ष 500 विश्वविद्यालयों की सूची में भारत के 06 संस्थानों को जगह मिली है। पिछली बार ये आंकड़ा 5 संस्थानों का था। इस लिहाज से पिछले साल के मुकाबले ग्लोबल रैकिंग में भारत के ज्यादा संस्थानों ने जगह बनाई है। भारत के लिए एक अच्छी बात यह है कि इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, रोपड़ ने पहली बार में ही टॉप 350 में जगह बनाई है। आईआईटी, रोपड़ इस लिस्ट में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु के साथ है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here