योगी सरकार ने मानों पत्रकारों को गिरफ्तार करने की मुहीम छेड़ दी है। पत्रकारों की ये गिरफ्तारियां कुछ वैसी ही हैं जैसे यूपी में एनकाउंटर के नाम पर ‘फर्जी एनकाउंटर’ हो रहे थे और एनकाउंटर करने की पुलिस बोली लगाने लगी थी। ठीक वैसे ही जो पत्रकार योगी राज के काले चिट्ठे पत्रकारिता के माध्यम से जनता के सामने ला रहे हैं उन्हें योगी की पुलिस और प्रशासन गिरफ्तार करके जेल में डाल दे रहा है।

यूपी के हर कोने से पत्रकारों को जेल भेजने और उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की घटनाएं तेज हो गई हैं। दिल्ली, नोएडा, मिर्जापुर, बिजनौर के बाद अब ताजा मामला आज़मगढ़ से सामने आया है। यहां एक स्थानीय पत्रकार संतोष जायसवाल को पुलिस ने जेल भेज दिया है। संतोष जायसवाल को इसीलिए जेल में डाला गया है क्योंकि उन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर के खिलाफ एक यूपी पुलिस को ट्वीट कर दिया था।

UP में सुरक्षित नहीं पत्रकारिता! मिड-डे मील में नमक-रोटी का वीडियो बनाने वाले पत्रकार पर मुकदमा

दरअसल, संतोष जायसवाल ने फूलपुर थाने के इंस्पेक्टर की बिना नंबर प्लेट की ब्लैक फिल्म लगी स्कार्पियो की फोटो के साथ यूपी पुलिस को ट्वीट कर दी थी। यूपी पुलिस ने आज़मगढ़ पुलिस को कहा था कि इस मामले को देखें। आज़मगढ़ पुलिस ने लखनऊ मुख्यालय को रिपोर्ट दी कि, “दो ये फोटो महीने पहले की है। जब गाड़ी नई खरीदी गई थी तो नंबर प्लेट नहीं था, अब नंबर प्लेट लग चुका है जिसका नंबर है- UP50BC7521।“

इसके बाद एक अन्य स्थानीय पत्रकार ने आज़मगढ़ पुलिस के ट्वीट का जवाब देते हुए बताया कि, “ये नंबर तो एक बाइक का है! बस इंस्पेक्टर का माथा ख़राब हो गया। वह मौके की ताक में किसी लोमड़ी माफिक बैठ गया। पत्रकार एक दिन एक स्कूल गया और छात्रों द्वारा झाड़ू लगते फोटो खींच लाया। इंस्पेक्टर भी दौड़ा हुआ स्कूल पहुंचा और मास्टरों से पत्रकार के खिलाफ लिखित कंप्लेन ले आया। इसी को आधार बनाकर बाद में पत्रकार को जेल भेज दिया।“

सूत्रों के मुताबिक, फूलपुर इंस्पेक्टर हाईकमान से अपनी शिकायत होने के बाद से ही संतोष जायसवाल से नाराज था। उसने मौका पाकर स्कूल के मास्टरों से मिलकर केस दर्ज कर लिया, क्योंकि स्कूल में मास्टर बच्चों से झाड़ू लगवा रहे थे। ये खबर प्रकाशित होने के बाद स्कूल के मास्टर भी फंस जाते इसीलिए उन्होंने इंस्पेक्टर का साथ दिया।

योगी सरकार के और उनके प्रशासन के इन कारनामों से यूपी से लेकर दिल्ली के पत्रकारों में भारी रोष है। बता दें कि, कुछ दिनों पहले मिर्जापुर में मिड-डे-मिल में बच्चों को नमक-रोटी खिलने का वीडियो पवन जायसवाल नाम के पत्रकार ने जारी किया था। जिसके बाद योगी सरकार ने उनपर ही एफआईआर दर्ज कर लिया।

इस केस में एक गौर करने वाली बात ये है कि संतोष जायसवाल ने इंस्पेक्टर फूलपुर की बिना नंबर प्लेट की गाड़ी की तस्वीर के साथ यूपी पुलिस को ट्वीट किया। इसके जवाब में यूपी पुलिस को इस मामले की जानकारी देने को कहा। लेकिन, आज़मगढ़ पुलिस ने यूपी पुलिस को बताया कि दो महीने पहले खरीदी गई, तब गाड़ी का नंबर नहीं था। अब गाड़ी का नंबर UP50BC7521 है। जो नंबर आज़मगढ़ पुलिस ने दिया, वह नंबर बाइक का है। सवाल ये उठता है कि आखिर आज़मगढ़ पुलिस झूठ क्यों बोल रही है? क्या इस्पेक्टर और आज़मगढ़ पुलिस ही पत्रकार संतोष जायसवाल को फर्जी केस में फंसा रहे हैं?

1 COMMENT

  1. बिल्कुल अगर पुलिस मोटरसाइकिल के नंबर को कार का नंबर बताती हे तो ये गलत हे ओर ऐसे कामो के लिए जनता योगी सरकार का साथ नही देगी

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