कृष्णकांत

एक महीने पहले इसरो के वैज्ञानिकों की तनख्वाह घटा दी गई. वैज्ञानिक नाराज हुए, गुहार लगाई कि वेतन न काटा जाए, तब उनके साथ कोई नहीं आया. वैज्ञानिकों ने अपने चेयरमैन को पत्र लिखा कि हम बहुत हैरत में हैं और दुखी हैं. लेकिन कोई गर्वीला इंडियन उनके साथ नहीं खड़ा हुआ.

यह तनख्वाह भी तब काटी गई जब वैज्ञानिक चंद्रयान लॉन्च करने की तैयारी में लगे थे. केंद्र सरकार ने लॉन्चिंग से ठीक पहले आदेश दिया कि इसरो वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को 1996 से मिल रही दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि को बंद किया जा रहा है. यह एक तरह की प्रोत्साहन अनुदान राशि थी. यह वेतनवृद्धि भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लागू हुई थी.

वैज्ञानिक दरोगा तो है नहीं कि घूस भी ले लेता है. न वह नेता है कि दो चार अंबानी अडानी पाल रखे हों. उसकी तनख्वाह के सिवा उसे कुछ नहीं मिलता. 23 साल से मिल रही बढ़ी तनख्वाह को काट लिया गया.

जब चंद्रयान लॉन्च हो गया तो नेता जी अपना कैमरा और गोदी मीडिया लेकर आए, वैज्ञानिक से गले मिले, भावुक हुए और बोले कि हमें गर्व है. आपने और हमने भी दांत चियार दिया कि हां जी, आप कह रहे हैं तो हमें भी गर्व है. नेता जी बोले कि पूरा देश वैज्ञानिकों के साथ है. आपने फिर से खीस निपोर दी कि हां जी सब साथ हैं.

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अब तक तो किसी को किसी चीज पर न गर्व था, न देश अपनी सेना और संस्थाओं के साथ था. अब तक जो पांच युद्ध लड़े गए, भारत स्पेस का महारथी बना, उसमें देश उनके साथ कहां था. वह सब देश से अलग कुछ हो रहा था. जैसे 2014 के पहले आप भारत में पैदा होने के लिए शर्मिंदा थे, वैसे हम भी शर्मिंदा थे. आपके रूप में विष्णु जी ने अवतार ले लिया. अब हम धन्य हो गए.

यह सब क्यों किया जाता है? इसलिए क्योंकि चुनाव जीतना है. पुलवामा और बालाकोट की तरह ही इस बार चुनावी रैली में चंद्रयान का बाजार लगा दिया गया है. आप फिर से दांत चियार दीजिए कि हां जी गर्व है. वोट आपको ही देंगे. बस वैज्ञानिकों की तनख्वाह काट लेंगे और पूरा देश मिलकर इसरो पर गर्व करेंगे.

नेता सेना से लेकर इसरों तक को चुनावी लाभ के लिए बेच दे रहा है. जिस किसान के बेटे ने वैज्ञानिक बनकर 100 से ज्यादा उपग्रह लॉन्च में योगदान दिया है, उसे घसीट कर गले लगा लिया और सब भावविभोर हो गए.

यह वैसा ही है कि एक आदमी कुल्हाड़ी लेकर लकड़ी काट रहा है और दूसरा मौज लेने के लिए बगल में खड़ा होकर झर्रर्र बोल रहा है.

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जिस पाकिस्तान को हम चार दशक पहले दो टुकड़े में तोड़कर उसके 95 हजार सैनिकों का समर्पण करवा चुके हैं, उसी पाकिस्तान में गोला फेंक कर भाग आने के लिए नेता कहता है गर्व करो और आप गर्वीले हो जाते हैं. फिर नेता कहता है कि गर्व है तो हमें वोट करो बस आप वोट कर देते हैं.

जन्नत की हकीकत जानने के लिए इस आंकड़े पर निगाह डालते चलें. आरटीआई से पता चला है कि 2012 से 2017 के बीच इसरो से 289 वैज्ञानिक पद छोड़कर चले गए. सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र तिरुवनंतपुरम, सैटेलाइट सेंटर बेंगलुरू और स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद जैसे केंद्रों से वैज्ञानिक पद छोड़कर जा रहे हैं. सरकार सैलरी काट ले रही है लेकिन गर्व सबको है.

  • ( ये लेख कृष्णकांत की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है )

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