लखनऊ फर्जी एनकाउंटर में नया खुलासा हुआ है। इस खुलासे में पता चल रहा है कि विवेक तिवारी को लेकर जो कहानी बनाई गई वो अब शक के घेरे में हैं।
इस खुलासे से ये भी लग रहा है कि पुलिस के हाथों में दी गई बंदूके कैसे खतरनाक हो गई हैं। जांच में पाया गया है कि विवेक की गाड़ी की टक्कर बाइक से नहीं हुई थी।
जांच में कहा गया कि गाड़ी का जो हिस्सा डैमेज हुआ वो अंडरपास के पिलर से टकराने से क्षतिग्रस्त हुआ था। जबकि विवेक की गाड़ी में साइड में कोई डैमेज नहीं मिला।
विवेक तिवारी की अगर कांस्टेबल से बाइक की मामूली टक्कर भी हुई होती तो उसका बायाँ हिस्सा डैमेज होता जबकि वहां कोई नुकसान नही हुआ। जबकि कांस्टेबल की बाइक का दायां हैंडल टूटकर अलग हो गया और पूरी बाइक को भी नुकसान हुआ।
ऐसा डैमेज किसी बड़े एक्सीडेंट में हो सकता है। इस मामले की निष्पक्ष जांच के बाइक की जांच टेक्निकल टीम से करवाया गया है।
आरोपी कांस्टेबल ने क्या कहा था ?
फर्जी एनकाउंटर होने के बाद पुलिस कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी ने कहा था कि उन्होंने अपने बचाव में गोली चलाई थी। उसने कहा ‘मैंने देर रात दो बजे एक संदिग्ध कार को देखा, उसकी लाइटें बंद थीं।
जब मैं कार के पास जांच के लिए गया तो चालक (विवेक तिवारी) ने भागने की कोशिश की और मुझपर कार चढ़ाने की कोशिश की। इसके बाद मैंने अपने बचाव में गोली चलाई। इसके बाद वह घटनास्थल से फरार हो गया।’
इस मामले में आगे क्या होगा इसका पता तो जांच के बाद ही चलेगा मगर एक निहत्थे शख्स को गोली मार देना कहां तक जायज़ था ?