मोदी सरकार द्वारा असम में नेशनल सिटिज़न रजिस्टर (NRC) की फाइनल लिस्ट जारी होने के बाद एक-एक खुद बीजेपी नेता विरोध कर रहे हैं। NRC में लिस्‍ट में 19 लाख 6 हज़ार 657 लोगों का नाम भारतीय नागरिक से बाहर कर दिया गया है। लेकिन इस लिस्ट में कई गड़बड़ियां सामने आ रही हैं।

असम के विधानसभा चुनाव में जिस NRC के मुद्दे की वजह से बीजेपी सत्ता तक पहुंची थी। लेकिन अब एनआरसी बीजेपी के लिए गले की फांस बन गया है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि, एनआरसी में खेल हुआ है। बड़ी संख्या में हिन्दुओं को ही बाहर कर दिया गया है।

असम बीजेपी के बड़े कद्दावर नेता हेमंत बिश्वशर्मा लगातार इस मुद्दे के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। हेमंत का कहना है कि, 1971 से पहले बांग्लादेश से बतौर शरणार्थी आए तमाम भारतीयों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं किए गए हैं क्योंकि अफसरों ने शरणार्थी प्रमाण पत्र लेने से इनकार कर दिया था। कई लोगों ने आरोप लगाया कि डेटा में हेरफेर करके अपात्र लोगों को लिस्ट में शामिल किया गया है।

बीजेपी से जुड़े एनआरसी के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया कि 3 करोड़ 11 लाख 21 हज़ार लोगों का एनआरसी की फाइनल लिस्ट में जगह मिली और 19,06,657 लोगों को बाहर कर दिया गया। जो लोग इससे संतुष्ट नहीं है, वे फॉरनर्स ट्रिब्यूनल के आगे अपील दाख़िल कर सकते हैं।

वहीं असम में बीजेपी के कई और अन्य नेताओं ने एनआरसी की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। बीजेपी विधायक सिलदित्य देव ने एनआरसी के सॉफ्टवेयर से छेड़छाड़ कर हिन्दुओं को लिस्ट से बाहर करने का आरोप लगाया है। सिलदित्य देव ने कहा, “सॉफ्टवेयर के जरिया तमाम घुसपैठियों को लिस्ट में शामिल कर लिया गया, जबकि हिन्दुओं को बाहर रखने की साजिश हुई। बीजेपी नेता मिमिनुल ओवल ने भी एनआरसी पर सवाल उठाया है।

बता दें कि, एनआरसी की अंतिम सूची 31 अगस्त को जारी हुई थी। इस सूची के मुताबिक असम में 3,11,21,004 लोग ही भारतीय नागरिकता साबित कर पाए हैं। जबकि प्रमाणपत्रों के आभाव में 19,06,077 लोगों को सूची ने बाहर कर दिया गया है। मोदी सरकार जिस एनआरसी के मुद्दे को उठाकर राजनीतिक फायदा लेना चाहती है अब स्थानीय बीजेपी नेता ही उसपर सवाल उठा रहे हैं।

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