पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के प्राइमरी स्कूल में बच्चों का नमक-रोटी खाते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस वीडियो के वायरल होने के बाद मिर्जापुर प्रशासन हरकत में आया और स्कूल प्रबंधन को सस्पेंड कर दिया था। अब गरीब बच्चों के साथ ज्यादती का वीडियो बनाने वाले पत्रकार पवन जायसवाल पर योगी की पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर लिया है।
This is Pawan Jaiswal , the #Mirzapur reporter who broke the roti + salt in mid day meal story. He has been booked by @mirzapurpolice for allegedly conspiring against the @UPGovt . In this video he reiterates he reported what he saw . @IndEditorsGuild please take cognizance ! pic.twitter.com/5mU47uufAo
— Alok Pandey (@alok_pandey) September 2, 2019
योगी सरकार में तथाकथित भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश में मिड-डे-मिल में बड़े पैमाने पर धांधली को उजागर करने वाले इस युवा पत्रकार पवन जायसवाल के समर्थन में देशभर से पत्रकार अपना समर्थन जाता रहे हैं। साथ ही योगी सरकार को आवाज दबाने वाला राज बताया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर पत्रकार उमाशंकर सिंह ने अपना समर्थन देते हुए लिखा है कि, “वक़्त पवन जयसवाल जैसे पत्रकार के साथ खड़े होने का है। इनके साथ हो रही ज़्यादती को दुनिया को बताइए।“
वक़्त पवन जयसवाल जैसे पत्रकार के साथ खड़े होने का है। इनके साथ हो रही ज़्यादती को दुनिया को बताइए। https://t.co/FtsFPTLl4q
— Umashankar Singh (@umashankarsingh) September 2, 2019
वहीं पत्रकार नेहा दीक्षित ने ट्वीटर पर योगी सरकार को पत्रकारों की आवाज दबाने की बात करते हुए कहा कि, “पवन जायसवाल पूरी दुनिया का समर्थन मिलना चाहिए, इस बात को ज्यादा से ज्यादा फैलाईये।”
Pawan Jaiswal deserves all the support in the world. Please spread the word. #PressFreedom https://t.co/4GnxIsfsiA
— Neha Dixit (@nehadixit123) September 2, 2019
जबकि पत्रकार रोहिणी सिंह, गार्गी रावत, बरखा दत्त ने भी ट्वीट करके पवन जायसवाल को अपना समर्थन देते हुए योगी सरकार को दमनकारी बताया है।
Every single right thinking citizen, not just journalists, should stand with Pawan Jaiswal. Tag @UPGovt, @sunilbansalbjp, @CMOfficeUP and demand they withdraw the outrageous FIR against him. Because this isn’t just about Pawan. It’s about the kids whose story he brought out. https://t.co/OH4T04Ha9O
— Rohini Singh (@rohini_sgh) September 2, 2019
दरअसल यूपी पुलिस ने पत्रकार पवन जायसवाल और ग्राम प्रधान प्रतिनिधि राजकुमार पाल व एक अन्य अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-B, 186, 193 और 420 के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस की शुरुआती जांच के मुताबिक जानबूझकर गलत मंशा से ये वीडियो बनाया गया। फिर इसे वायरल किया गया। “जबकि स्कूल के मिड-डे मील में पहले कभी गड़बड़ी नहीं पाई गई थी।“ लेकिन पुलिस उल्टा पवन को ही फ़साने का षड्यंत्र रच रही है।
भले ही ये जांच का विषय हो मगर पत्रकार और फोटोग्राफर पर रिपोर्ट दर्ज करना वो भी सिर्फ इसलिए कि उस शख्स ने सरकारी स्कूलों की पोल खोलने में मदद की। क्या अब उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में पत्रकारों को पत्रिकारिता करने से रोका जायेगा? क्या उत्तर प्रदेश में नेताओं के बाद अब उन पत्रकारों पर लगाम लगाने की कोशिश की जाएगी जो बदहाल व्यवस्थाओं पर रिपोर्ट करेंगे?
गौरतलब हो कि पत्रकार की इसी रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट तलब की थी। इस मामले में स्कूल के शिक्षक व खंड शिक्षा अधिकारी समेत कई पर गाज गिरी थी।