प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर दावा करते रहते हैं कि उनकी सरकार का प्रदर्शन यूपीए सरकार यानि यूपीए-1 और यूपीए-2 से अच्छा रहा है। यूं तो दोनों सरकारों की तुलना कई मामलों में की जा सकती है लेकिन अर्थव्यवस्था विकास की एक ऐसी परिभाषा जिसे सभी एक उचित मानदंड मानते हैं।
अर्थव्यवस्था के विकास को वर्तमान में जीडीपी के आकड़े के साथ देखा जाता है। पिछले महीने 28 फरवरी को ही मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े घोषित किए गए। इनके अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में देश की विकास दर 6.6% रहने का अनुमान है। यानि मोदी सरकार के चौथे वर्ष की जीडीपी इसी के आसपास रहेगी।
मोदी सरकार के चार साल पूरे होने के बाद अब उनकी तुलना यूपीए सरकार से की जा सकती है। अगर यूपीए-1 सरकार के कार्यकाल पर नज़र डाली जाए तो 2004-05 में जीडीपी 7% रही। उसके बाद 2005-06 में 9.5%, 2006-07 में 9.6% और 2007-08 में 9.3% रही। 2008-09 में विकास दर घटकर 6.7% रह गई। इसके पीछे कारण अमेरिका का वित्तीय संकट था जिसका नुकसान पूरी दूनिया को हुआ और भारत भी इससे अछूता नहीं था। यूपीए-1 के कार्यकाल में देश की औसतन जीडीपी 8.4% रही।
अब देखते हैं विकास दर के मामले में यूपीए-2 का प्रदर्शन। 2009-10 में जीडीपी 6.7%, 2010-11 में 8.6%, 2011-12 में 8.9%, 2012-13 में 5.7% और 2013-14 में 6.9% रही। यूपीए-1 के मुकाबले यूपीए-2 का प्रदर्शन विकास दर के मामले में कमज़ोर रहा। इस तरह यूपीए-2 के समय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर का औसत केवल 7.2% रहा।
अब नज़र डालते हैं प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में देश की जीडीपी पर। 2014-15 में विकास दर 7.2% रही थी। इसके बाद 2015-16 में ये आकड़ा 7.5% रहा। वर्ष 2016-17 में जीडीपी फिसलकर 7.15% पर आ गई। नोटबंदी और जीएसटी के कारण 2017-18 में विकास दर के सिर्फ 6.6% ही रह जाने का अनुमान है। मोदी सरकार के कार्यकाल में जीडीपी की औसत दर 7.1% रही है।
2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि अगर वो सत्ता में आएँगे तो देश की जीडीपी को डबल डिजिट तक ले जाएँगे यानि 10% तक। लेकिन डबल डिजिट तो दूर की कोड़ी लगती है इस मामले में वो अपनी पूर्वर्ती की सरकार के मुकाबले भी नहीं टिकते हैं।
यूपीए-1 और यूपीए2 दोनों ही अर्थव्यवस्था के विकास के मामले में मोदी सरकार भारी पड़ रहे हैं। यहाँ तक की आज़ादी के बाद जीडीपी के लिहाज़ से देश का सबसे अच्छा साल 2006-07 माना जाता है। इस वित्तीय वर्ष में जीडीपी 9.6% रही थी।