राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत को चार साल बाद राम मंदिर की याद आई है। उन्होंने कहा कि राजनीति की वजह से मामला इतना लंबा खिच गया सरकार को चाहिए कि वो राम मंदिर पर कानून लाये और मंदिर बनाने का काम शुरू करे।

राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के हैं। हालाकिं सरकार बनते ही भागवत ने कहा था कि मंदिर निर्माण के अलावा और भी काम है।

दरअसल अगले महीने से देश के पांच राज्यों के चुनाव होने है फिर उसके बाद लोकसभा चुनाव होने है, ऐसे में जब बीजेपी से हर मोर्चे फेल हो रही है तब संघ प्रमुख का बयान आया है कि राममंदिर के लिए कानून बनाना चाहिए, ये भी एक चुनावी कार्ड है जो बीजेपी और संघ पिछले कई सालों से करती आ रही।

भागवत ने कहा कि मंदिर किसी भी मार्ग से बने लेकिन उनका मंदिर बनना चाहिए। सरकार को इसके लिए कानून लाना चाहिए। अगर राम मंदिर बनता है तो देश में सद्भावना का माहौल बनेगा। उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि स्थल का आवंटन होना बाकी है, जबकि साक्ष्यों से पुष्टि हो चुकी है कि उस जगह पर एक मंदिर था. राजनीतिक दखल नहीं होता तो मंदिर बहुत पहले बन गया होता. हम चाहते हैं कि सरकार कानून के जरिए (राम मंदिर) निर्माण का मार्ग प्रशस्त करे.

मगर जब मोदी सरकार बनने के बाद मोहन भागवत से पूछा गया था कि आखिर राम मंदिर का निर्माण कब शुरू होगा तो उन्होंने दो टूक जवाब देते हुए कहा था मंदिर से भी ज़रूरी कई काम है। उन्होंने ये बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारी मंडल का तीन दिवसीय अधिवेशन में कही थी।

आज से ठीक चार साल पहले 17 अक्टूबर साल 2014 को जब संघ प्रमुख ने मंदिर पर बयान दिया था और आज चार साल बाद जब वो मंदिर निर्माण की बात कर रहें है तो ये उन बातों को साफ़ कर देता है कि संघ मंदिर निर्माण के बहाने बीजेपी को फायदा पहुँचाना चाहती है।

ये बात बिलकुल साफ़ है क्योकिं बीजेपी के पास अब कुछ भी नया करने को बचा नहीं है इस वजह से अब गोदी मीडिया के सहारे से भी मंदिर निर्माण पर हर शाम एक टीवी चैनल पर बहस ज़रूर होती है।

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