भारत के पांचवें राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार का नाम NRC लिस्ट में नहीं है। कई ऐसे लोगों के नाम गायब हैं जो आज़ादी की लड़ाई लड़े। कई ऐसे लोगों का नाम गायब है जो भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं।

अब्दुल समद चौधरी डेमोक्रेटिक फ्रंट के लीडर हैं, उनके दादा ब्रिटिश आर्मी में सैनिक थे, फिर आज़ादी की लड़ाई में शामिल हुए थे। समद चौधरी की माँ का नाम लिस्ट में है, लेकिन उनका नाम नहीं हैं। माँ भारतीय है, बेटा विदेशी हो गया।

डाक विभाग से रिटायर जमाल हुसैन विदेशी घोषित हो गए हैं। असम आंदोलन में जान देने वाले मदन मलिक को सरकार ने शहीद माना था। सरकार से दो बार पुरस्कृत हो चुकीं मलिक की पत्नी को भारतीय नहीं माना गया है।

व्यवसायी स्वप्नदास का पूरा परिवार लिस्ट में है लेकिन उनकी माँ को आवेदन के बावजूद लिस्ट से बाहर रखा गया है।

विपिन मंडल का परिवार लिस्ट में है, लेकिन उनकी को पत्नी को विदेसी मान लिया गया है।

अमित शाह कह रहे थे कि 40 लाख घुसपैठियों की पहचान कर ली है, उनको देश से खदेड़ देंगे। विचार बड़ा क्रांतिकारी था। जनता निहाल हो गई। अब 40 लाख में से छांट कर 21 लाख भारतीय मान लिए गए। अब 19 लाख बचे हैं। अगर 40 लाख विदेशी थे तो अब 19 लाख कैसे हो गए?

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क्या अमित शाह 21 लाख भारतीयों को विदेशी बता रहे थे? यह कौन सी राजनीति है जो चुनाव जीतने के लिए भारत के नागरिकों को विदेशी बताकर चुनाव जीतती है?

राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है। अगर पूर्व राष्ट्रपति का परिवार ही विदेशी है तो स्वदेशी कौन है?

खबरें हैं कि मुसलमानों से ज्यादा हिन्दू लिस्ट से बाहर रह गए हैं। इनमें बीजेपी के कार्यकर्ता भी हैं। अब बीजेपी के ही सांसद और विधायक इस एनआरसी के विरोध में आ गए हैं। लेकिन बीजेपी का अपना एजेंडा है, उसी हिन्दू मुस्लिम एजेंडे पर आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार ने धार्मिक आधार पर नागरिकता देने का कानून बनाया। भारत जैसे सेकुलर देश में धर्म के आधार पर नागरिकता देकर क्या इसे पाकिस्तान जैसा जाहिल देश बनाया जाएगा?

जब आप लोगों की नागरिकता के साथ ऐसा खिलवाड़ करेंगे तो उसका खामियाजा सिर्फ मुसलमान नहीं भुगतेगा। असम में मुसलमानों से पहले हिन्दू भुगत रहे हैं।

देश हमारी निजी कुंठा और लुच्चई से बहुत बड़ी चीज होती है। उसका आदर नहीं करोगे तो देश सिर्फ बर्बादी की तरफ जाएगा। सरकार को देश के हित के लिए यह एनआरसी नाम की नौटंकी तुरंत बंद करवा देनी चाहिए।

  • कृष्णाकांत

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