ग्लोबल यूनिवर्सिटी की नई रैंकिंग में टॉप 300 में भारत की एक भी यूनिवर्सिटी को शामिल नहीं किया गया है। ये भारत में पढ़ाई करने वालों के लिए बुरा हो सकता है मगर मौजूदा सरकार के लिए ये एक शर्मनाक बात। जिस देश ने दुनिया को बड़ी सी बड़ी शिक्षा दी आज वही देश दुनिया की टॉप 10 तो छोड़िये टॉप 300 में भी जगह बना पाने में असफल रहा है।

आखिर ऐसा क्यों हुआ? इसकी सीधी सी वजह है साल दर साल शिक्षा बजट में कटौती करना। साथ ही नए शिक्षा संस्थानों को स्थापित कर पाने में सरकारें विफल रही है। ऐसा 2012 के बाद पहली बार हुआ है।

मोदीराज 2ः अब शिक्षा के मामले में भी पिछड़ा भारत, टॉप 300 यूनिवर्सिटी में भारत की एक भी नहीं

हालाँकि ऐसा नहीं है कि भारत के लिए इस रैंकिंग में सिर्फ बुरी खबर ही है। साल 2018 में जहाँ भारत 49 यूनिवर्सिटी को इसमें जगह मिली थी वहीं इस बार दुनिया भर की 1300 यूनिवर्सिटी में से 56 यूनिवर्सिटी ने इसमें जगह बनाने में सफलता हासिल कर ली है। अब इसपर कितना खुश होने ज़रूरत है और कितना सुधार करने की ये सरकार ही जाने।

इस रैंकिंग पर पत्रकार नवीन कुमार ने सोशल मीडिया पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि आने वाली नस्लों से आप क्या कहेंगे? हम गाय, गोबर और गोमूत्र में लगे थे इसलिए तुम्हारे विश्वविद्यालयों को बर्बाद कर दिया? पासपोर्ट की साख का ढिंढोरा पीटने वालो ने हमारे बच्चों से बेहतर तालीम का हक़ मारा है। आप कहते रहिये की हम विश्वगुरु थे। आज का सच ये है कि हम ‘रवांडा’ हो चुके हैं।

बता दें कि टाइम्स हायर एजुकेशन (टीएचई) की ओर से जारी वर्ल्ड रैंकिंग की लिस्ट में यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्‍सफ़ोर्ड फिर से शीर्ष स्थान पर है (जो पिछले साल भी विश्व रैंकिंग में टॉप पर रही थी)। दूसरे नंबर पर कैलिफ़ोर्निया प्रौद्योगिकी संस्थान और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय रहे हैं। स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय और एमआईटी को भी टॉप 5 की सूची में जगह मिली है।

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