अख़बारों में नौकरी देने लिए युवतियों का दैहिक शोषण, टीवी-सिनेमा में काम देने के लिए भी। दफ़्तरों में सहयोगी कामकाजी स्त्रियों से शारीरिक दुराचार।
लम्पटई के जाने कितने तरीक़े और ठिकाने प्रकाश में आ रहे हैं। ‘संस्कारी’ अभिनेता आलोक नाथ पर तो लगातार बलात्कार और हिंसक आचरण का आरोप लगा है।
सबसे सनसनीखेज़ है ‘द टेलिग्राफ़’ को खड़ा करने और स्थापित करने वाले देश के मौजूदा विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर पर लगे यौन शोषण के एकाधिक आरोप।
‘जब सत्ता में बैठे लोग ही महिलाओं का शोषण करेंगें तो देश की महिलाएं क्या खाक सुरक्षित रहेंगी’
उनके लिए इससे शर्मनाक घड़ी क्या होगी कि उसी टेलिग्राफ़ ने अपने जन्मदाता पर लगे भीषण आरोप की ख़बर पहले पेज पर लीड बनाकर छापी है। बाक़ायदे नाम लेते हुए।
लेकिन महिलाओं के शोषण पर महिला मंत्रियों की चुप्पी तो देखिए। और तो और बात-बेबात गरजने वालीं सुषमा स्वराज कैसे अपने ही विभाग के मंत्री पर लगे आरोपों पर सरासर कट निकलीं, एनडीटीवी ने दिखाया।
BJP नेता एमजे अकबर पर महिला पत्रकारों ने लगाए यौन उत्पीड़न के आरोप, इस्तीफे की हुई मांग
यह भी नहीं ख़याल किया कि चुनाव सर पर हैं। कम से यही कह देतीं कि सचाई का पता लगाएँगे। अगर विपक्ष में होतीं तो मंत्री का शायद सर ही न माँग रही होतीं!