कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम भले ही अभी जेल में हो। मगर उन्होंने अब सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि मुझे अर्थव्यवस्था की गहरी चिंता है। कम आय, कम नौकरियां, कम व्यापार और कम निवेश गरीब और मध्यम वर्ग को प्रभावित करते हैं। देश को इस गिरावट और निराशा से बाहर निकालने की योजना कहां है?
पत्रकारों ने पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम से कस्टडी को लेकर पूछा सवाल, जवाब मिला- 5% GDP
पी चिदंबरम ने कहा कि मैंने अपने परिवार को मेरी ओर से ये ट्वीट करने के लिए कहा है। आप सभी का समर्थन के लिए शुक्रिया। मुझे कहना होगा कि मैं गरीब लोगों (जिनसे मुझे पिछले कुछ दिनों में मिलने और बातचीत करने का मौका मिला है) की न्याय और अन्याय के बीच अंतर करने की क्षमता से चकित हूं।
मुझे अर्थव्यवस्था की गहरी चिंता है।
गरीब लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। कम आय, कम नौकरियां, कम व्यापार और कम निवेश गरीब और मध्यम वर्ग को प्रभावित करते हैं। देश को इस गिरावट और निराशा से बाहर निकालने की योजना कहां है?
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 11, 2019
कुछ दिन पहले पूर्व वित्तमंत्री ने देश की गिरती GDP पर तंज़ कसा था। कोर्ट परिसर में जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आप अपनी कस्टडी को लेकर कुछ कहना चाहते हैं, इसपर चिदंबरम ने जवाब दिया कि 5% । रिपोर्टर ने फिर पूछा क्या 5% तो इस पर चिदंबरम ने कहा क्या है 5% तो रिपोर्टर ने कहा जीडीपी’ ये कहकर चिदंबरम वहां से आगे बढ़ गए।
गौरतलब हो कि चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर महज 5 फीसदी रह गई है। जीडीपी किसी खास अवधि के दौरान वस्तु और सेवाओं के उत्पादन की कुल कीमत है। भारत में जीडीपी की गणना हर तीसरे महीने यानी तिमाही आधार पर होती है। ध्यान देने वाली बात ये है कि ये उत्पादन या सेवाएं देश के भीतर ही होनी चाहिए।
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इससे पहले मार्च तिमाही में जीडीपी 5.80 फीसदी रही थी। जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही विकास दर 8 फीसदी दर्ज की गई थी। मौजूदा जीडीपी बीते 25 तिमाहियों मतलब कि पिछले 6 साल से अधिक वक़्त में ये सबसे कम जीडीपी ग्राथ रेट है।
बता दें कि देश में ऑटो सेक्टर की प्रमुख कंपनियां इस वक्त मंदी की मार से परेशान हैं। मंदी के चलते मारूती, टाटा और महिंद्रा जैसी कंपनियों की कई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स बंद हो चुकी हैं। जिससे तकरीबन 10 लाख कर्मचारियों की नौकरी ख़तरे में आ गई है।