मुरादाबाद मंडल में पांच जिले मुरादाबाद, रामपुर, सम्भल, अमरोहा और बिजनौर हैं और सभी जिलों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच से मुक्ति के लिए अभियान चल रहा है।
सरकार ने इसी दो अक्टूबर तक जिलों को खुले में शौच से मुक्त करने का लक्ष्य रखा था है जिसके बाद मुरादाबाद को भी पीछे छोड़कर अमरोहा मंडल का पहला ओडीएफ (ओपन ड्रिंकेशन फ्री) जिला घोषित कर दिया था।
मगर अमरोहा में भाजपा सरकार के स्वच्छ भारत अभियान की पोल खुल चुकी है। सरकार के दावों के उलट यहाँ आज भी 20 हजार से ज्यादा परिवार खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं।
शौचालय निर्माण की मांग को लेकर समाजसेवी सचिन चौधरी अमरोहा में शौचालय निर्माण में हुए घोटाले की जांच को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हुए है।
इस मामले पर पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपयी ने लिखा, साहेब 2019 में निपट जायेगें। ये आवाज़ यूपी के अमरोहा में सुनी 21000 घरों में काग़ज़ पर शौचालय है। समूचा रुपया सत्ताधारी डकार गये।
सबूतों के साथ सोशल वर्कर सचिन डीएम दफ़्तर में 5 दिनों से बैठे है। सांसद के कहने पर डीएम ने अमरोहा को ओडीएफ क़रार दिया, निपटा देगें अपने ही।
उनका दावा है कि अमरोहा जिले के 20 हजार से ज्यादा घरों में अभी भी स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय नहीं बने हैं। ऐसे में सरकार ने कैसे अमरोहा को पहला ओडीएफ (खुले से शौच मुक्त) जिला घोषित कर दिया गया।
कैसे होता है कोई भी जिला ओडीएफ घोषित
एक ग्राम पंचायत या एक गाँव तब तक खुले में शौच से मुक्त नहीं मानी जाती जब तक गाँव का एक-एक व्यक्ति शौचालय का प्रयोग नहीं करने लगता हो।
अगर उस गाँव का 6 महीने का बच्चा भी शौचालय का प्रयोग नहीं कर रहा है तो गाँव खुले में शौच से मुक्त नहीं माना जायेगा। किसी भी ग्राम पंचायत का शत प्रतिशत शौचालय का प्रयोग उस ग्राम पंचायत से मुक्त माना जायेगा।
बता दें कि जनपद में 2,71,288 परिवार हैं, जिसमें 1,06,899 परिवारों के पास पहले से ही शौचालय हैं, कुल 1,64,390 शौचालय बनवाए जाने थे, जिसमें सरकार का दावा है की 14901 लोगों ने स्वयं प्रेरित होकर शौचालय बनवाए हैं जबकि 1,49,488 शौचालय सरकारी तौर पर व सरकारी धन से बनवाए गए हैं।