भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने इस सुस्ती के लिए केंद्र की मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को प्रमुखता से ज़िम्मेदार ठहराया है।
ब्राउन यूनिवर्सिटी में ओपी जिंदल लेक्चर के दौरान बोलते हुए रघुराम राजन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में रुकावट मोदी सरकार में सारी शक्तियों के केंद्रीकृत होने की वजह से आई। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में अर्थव्यवस्था के लिए कुछ अच्छा नहीं किया क्योंकि इस सरकार में सारी शक्तियां एक जगह थीं।
ऐसे में सरकार के पास अर्थव्यवस्था को लेकर कोई दृष्टिकोण नहीं था। मंत्रियों के पास कोई ताक़त नहीं थी। ब्यूरोक्रेट्स फ़ैसले लेने को लेकर अनिच्छुक थे। गंभीर सुधार के लिए कोई आइडिया नहीं था।
पूर्व गवर्नर ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर संस्थानों को कमजोर करने का भी आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि यहां तक कि वरिष्ठ अधिकारियों को बिना कोई सबूत के हिरासत में ले लिया गया। उन्होंने कहा कि संस्थानों की कमज़ोरी से सभी सरकारों के निरंकुश बनने की आशंका रहती है। ऐसा 1971 में इंदिरा गांधी के वक़्त में भी था और अब 2019 में मोदी के वक़्त में है।
राजन ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ़ की गई कार्रवाई पर अफसोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि वह इस बात से दुखी हैं कि पूर्व वित्त मंत्री को बिना कोई जांच के जेल में कई हफ़्तों स रखा गया।
पूर्व गवर्नर ने कहा कि बढ़ता राजकोषीय घाटा भारतीय अर्थव्यवस्था को एक बेहद चिंताजनक स्थिति की तरफ धकेल रहा है। उन्होंने कहा कि दृष्टिकोण में अनिश्चितता है, यही वजह है कि देश की अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय स्तर पर सुस्ती देखने को मिल रही है।
राजन ने साल 2016 की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़ों का भी जिक्र किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 2016 में जो जीडीपी 9 फीसदी के पास थी, वह अब घटकर 5.3 फीसदी के स्तर पर आ गई है।
इतना ही नहीं अगले क्वार्टर में भी इसके ज्यादा बढ़ने की उम्मीद नहीं लग रही है। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के अगस्त इंडेक्स के आंकड़े आर्थिक हालात को और चिंताजनक बना रहे हैं। यह पिछले 7 सालों में सबसे निम्न स्तर पर पहुंच गए हैं। इस बार 1.1 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है।
राजन ने यह भी कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि में कमी आने की एक बड़ी वजह यह भी है कि सरकार ‘ग्रोथ के नए सोर्स’ नहीं खोज पा रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत में जारी आर्थिक तनाव को लक्षण मानना चाहिए ना की पूरी समस्या।