BSNL और MTNL बंद होगा- सूत्र ( फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस)

अभी कुछ दिन पहले आई थी कि दोनों को फिर से पटरी पर लाने के लिए 74000 करोड़ के पैकेज को सरकार ने ख़ारिज कर दिया है। अब ख़बर आ रही है कि BSNL और MTNL बंद होगा।

फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस के किरण राठी ने सूत्रों के हवाले से ख़बर की है। कुछ लोगों को दूसरी जगहों पर एडजस्ट किया जाएगा और बाकी को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति देकर चलता कर दिया जाएगा।

सरकार के पास इन दो कंपनियों को बचाने के पैसे भी नहीं है। कश्मीर पर फैसले के बाद वह बंद करने का जोखिम आसानी से ले सकती है। जैसे कश्मीर पर ये लोग चुप रहे वैसे ही इन पौने दो लाख लोगों के मामले में बाकी चुप रहेंगे।

BSNL कर्मचारियों को ‘सैलरी’ देने के लिए पैसा नहीं है लेकिन रूस को 1 अरब डॉलर बांट रहे है PM मोदी

दोनों कंपनियों को 4 G नहीं देकर किस कंपनी को लाभ दिया गया इस पर बात करने से कोई फ़ायदा नहीं। उन्हें हर बात पर ही लाभ दिया जाता है और लोग इसे सहजता से लेते हैं। अनदेखा करते हैं। अब आप प्राब्लम में आए हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि चुप रहने वाले लोग बोल उठेंगे।

इन पौने दो लाख लोगों के जीवन में विपदा आने वाली है। ये लोग परेशान होंगे। नौकरी किसी की भी जाय होश उड़ जाते हैं। परेशानी में प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शन के कवरेज के लिए मीडिया खोजेंगे। वही मीडिया जो कश्मीर में लोगों का हाल लेने नहीं गया। उसे आपने सरकार का अंग बनने दिया। अब वही लोग जब मीडिया मीडिया करेंगे तो कोई नहीं आएगा।

यूपी पुलिस ने नहीं चुकाया बकाया तो BSNL ने काटा सभी थानों का कनेक्शन, ऑनलाइन सेवाएं हुईं ठप्प

ज़ाहिर है वे मीडिया को बिका हुआ बोलेंगे। लेकिन इससे पहले उन्हें आत्म चिंतन करना होगा। वो ख़ुद क़ौन सा मीडिया देखते रहे हैं? क्या कभी चिन्ता की कि यह मीडिया सरकार का प्रोपेगैंडा क्यों कर रहा है? क्या ये लोग स्वतंत्र मीडिया के साथ खड़े हुए? इसका जवाब व्यक्तिगत रूप से कम व्यापक रूप से देना होगा। ये लोग वोट किन सवालों पर देते हैं ?

इन सब सवालों का जवाब वे ख़ुद को दें। अब बोलेंगे तो सोशल मीडिया पर आई टी सेल वाले गाली देकर भर देंगे। क्योंकि जब आईटी सेल वाले दूसरों को गाली दे रहे थे तब ये लोग नहीं बोल रहे थे। इसलिए BSNL और MTNL के कर्मचारियों को मीडिया के पास नहीं जाना चाहिए। वे आएँ भी तो नहीं बात करनी चाहिए। इन्हें विपक्ष के पास भी नहीं जाना चाहिए क्योंकि इनमें भी बहुत लोग होंगे जो विपक्ष का मज़ाक़ उड़ाते रहे होंगे। अब सभी मिलकर गांधी को पढ़ें और सत्याग्रह करें।

यही एक रास्ता है।

पौने दो लाख लोगों को रोज़गार देने वाली कंपनियाँ बंद हो रही है। भारतीय खाद्य निगम पर तीन लाख करोड़ से अधिक की देनदारी हो गई है। भारतीय जीवन बीमा के भी विलय की बात हो रही है। BPCL को बेचने की बात हो रही है। सरकार को कोई नहीं रोक सकता है।

बिज़नेस स्टैंडर्ड की पहली ख़बर है कि कोरपोरेट टैक्स में कमी के बाद भी इस साल की दूसरी तिमाही में उनकी कमाई घटेगी।

बाकी देश में सब ठीक है। यह सब होता रहता है। फिर ठीक भी हो जाता है। इन क़दमों के दूरगामी परिणाम अच्छे होंगे। यह बात नोटबंदी से सुन रहे हैं और अब तालाबंदी पर आ चुके हैं।

3 COMMENTS

  1. रवीश जी सरकार की आलोचना करना अच्छी बात है और आपने अच्छे मुद्दों को भी उठा या पर आपकी एक साइड वाली रिपोर्टिंग जनता नहीं सुनती है आपने कांग्रेस सरकारों में कभी इतनी आलोचना नहीं की तो भी हमें आपकी prime time अच्छा लगता है

  2. प्रिय रवीश जी MTNL और BSL वाले अपनी बर्बादी के लिए स्वयं जिम्मेदार हैं। क्योंकि इन्होंने कभी अपना कार्य ईमानदारी से नहीं किया। ये लोग निजी कंपनियों को लाभ पहुंंचाने के लिए उनसे पैसा लेकर शाम के समय सर्वर डाउन कर देते थे। मैं खुद का अनुभव बता रहा हूं। मेरठ के बीएसएनएल कार्यालय में 2016 में एक सिम लेने गया था तो वहाँ एक महिला कर्मचारी थी जो बेफिक्र आराम कुर्सी पर लेटी हुई मुंह में ईलायची या सुपारी चबाती हुई बदतमीजी और तानाशाही रवैये में बोली ये लाओ वो लाओ कल आना आदि आदि. मैंनें उस दिन सोचा सरकार इन गधों के लिए कितनी बड़ी सैलरी और सुविधाएं देती है और ये कर क्या रहे हैं। दूसरी तरफ एयरटेल, आईडिया या वोडाफोन आफिस की मात्र 7 या 8 हजार प्रति माह की सैलरी पर काम करने वाली लड़की मुस्कराते हुए स्वागत करती है और आपकी हरसंभव मदद। वहाँ पर एसी कक्ष में आपके बैठने की उचित सुविधा भी होती है और पीने के लिए पानी। इतनी असमानता होने के बावजूद बीएसएनएल आदि कंपनियां कब तक चल पायेंंगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here