नरेंद्र मोदी देश को विकास की नई उचाईयों पर ले जाने के वादे के साथ सत्ता में आए थे। लेकिन विकास के विपरीत उनके कार्यकाल में देश की मुद्रा ( रुपया ) ने गिरने का नया रिकॉर्ड बना लिया है।

बिज़नेस स्टैण्डर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूपया 16 साल बाद लगातार इतना ज़्यादा गिरा है।

गौरतलब है कि रुपये की कीमत लगातार डॉलर के मुकाबले पिछले काफी समय से गिर रही है। सोमवार को भी रुपया 32 पैसे टूटा।

भारतीय रुपया लगभग पिछले एक साल से डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है। और अब अक्टूबर 2018, में इसने लगातार छह महीने गिरने का रिकॉर्ड बनाया है। वर्ष 2002 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जो भारतीय मुद्रा लगातार इतने समय तक गिरती रही हो।

आज़ादी के बाद रूपये में ऐतिहासिक गिरावट, रुपया 74 के पार, क्या अब PM की गरिमा नहीं गिर रही है?

2013 से अबतक रुपया की कीमत डॉलर के मुकाबले 20.8 प्रतिशत गिर चुकी है। और इसमें से 14 प्रतिशत से ज़्यादा कीमत वर्तमान वर्ष में ही गिरी है।

लगातार इतना गिरने के बाद भारतीय रुपया दक्षिण एशिया में डॉलर के मुकाबले सबसे ज़्यादा ख़राब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है।

प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में रूपये के लगातार इतना गिरने से उनकी सरकार विपक्ष के निशाने पर है।

‘रुपया लगातार गिर रहा है और PM मोदी ‘फर्जी आर्थिक आंकड़े’ पेशकर देश को गुमराह कर रहे हैं’

वर्ष 2013 में, रूपये के गिरने पर तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार को इसका ज़िम्मेदार ठहराया था लेकिन वर्तमान में पीएम मोदी से लेकर उनके मंत्री तक रूपये की गिरावट पर कुछ बोलते नज़र नहीं आ रहे हैं।

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