ऐसे दौर में जब लगभग सभी पत्रकारों ने सत्ता के सामने घुटने टेक दिए, एक आवाज़ फिर भी बहादुरी के साथ सत्ता को आईना दिखाती रही। ये आवाज़ रही देश के जाने माने पत्रकार रवीश कुमार की। रवीश कुमार को उनकी इसी निडर पत्रकारिता के लिए रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

एशिया का नोबेल पुरस्कार कहे जाने वाला प्रतिष्ठित मैगसेसे पुरस्कार 12 साल बाद किसी भारतीय पत्रकार को मिला है। इससे पहले 2007 में पी साईनाथ को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। शुक्रवार को रमन मैग्सेसे कमेटी ने एक ट्वीट में बताया कि रवीश कुमार को यह अवार्ड पत्रकारिता में वंचितों की आवाज़ उठाने के लिए दिया जा रहा है।

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रवीश कुमार को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिए जाने पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने बधाई दी है। साथ ही पार्टी ने यह भी कहा कि रवीश कुमार से गोदी पत्रकारों को कुछ सीखना चाहिए।

आरजेडी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा गया, ”कमल की जगह क़लम पकड़ने वाले निर्भीक पत्रकार रवीश कुमार को हार्दिक बधाई। चाटुकार, चापलूस, चमचे और कमल छाप पत्तलकारों को रवीश से कुछ सीखना चाहिए।”

बता दें कि रवीश कुमार का नाम उन पांच व्यक्तियों में शुमार है जिन्हें इस पुरस्कार का विजेता घोषित किया गया है। प्रशस्ति पत्र में कहा गया कि रवीश कुमार का कार्यक्रम “प्राइम टाइम” “आम लोगों की वास्तविक, अनकही समस्याओं को उठाता है।” साथ ही इसमें कहा गया, “अगर आप लोगों की आवाज बन गए हैं, तो आप पत्रकार हैं।”

ग़ौरतलब है कि रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार एशिया के व्यक्तियों एवं संस्थाओं को उनके क्षेत्र में विशेष रूप से उल्लेखनीय कार्य के लिए प्रदान किया जाता है। यह रमन मैग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन द्वारा फिलीपीन्स के भूतपूर्व राष्ट्रपति रमन मैग्सेसे की याद में दिया जाता है। यह पुरस्कार 6 श्रेणियों में दिया जाता है। ये श्रेणिया हैं- शासकीय सेवा, सार्वजनिक सेवा, सामुदायिक नेतृत्व, पत्रकारिता एवं साहित्य, शांति और उभरता नेतृत्व।

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