गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के शिशु रोग विभाग के निलंबित डॉक्टर कफील खान को दो साल बाद विभागीय जांच समिति ने क्लीनचिट दे दी है। डॉ कफ़ील पर आरोप था कि हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के लिए वह ज़िम्मेदार हैं। इन्हीं आरोपों की बुनियाद पर उन्हें 9 महीने जेल में रहना पड़ा था।
विभागीय जांच समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल में बच्चों की मौत में वह जिम्मेदार नहीं हैं और उन्होंने 10 और 11 अगस्त की रात को अस्पताल में बच्चों की जान बचाने के लिए तमाम प्रयास किए थे। जांच की रिपोर्ट गुरुवार को बीआरडी अधिकारियों ने कफील को दी। हालांकि ये रिपोर्ट 16 अप्रैल को ही आ गई थी।
क्लीनचिट मिलने के बाद बोले डॉ कफील- माफी नहीं चाहिए, बस असली गुनाहगारों को सज़ा मिलनी चाहिए
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर साफ़ तौर पर उन्हें सरकार और प्रशासन द्वारा फंसाए जाने की बात कही जा रही है। पत्रकार रोहिणी सिंह का कहना है कि डॉ कफ़ील को इस मामले में सिर्फ उनके मुस्लिम नाम की वजह से फंसाया गया।
रोहिणी सिंह ने ट्विटर के ज़रिए कहा, “डॉ कफील कभी दोषी नहीं थे। यह पहले दिन से ही स्पष्ट था। उनका एकमात्र गुनाह उनका नाम था। ये कारण उन्हें मिले अपमानजनक उत्पीड़न के लिए काफ़ी था”।
Dr Kafeel was never guilty. That was evident from the first day itself. His only crime was his name. That was reason enough for the outrageous levels of harassment meted out to him.
— Rohini Singh (@rohini_sgh) September 27, 2019
क्या है पूरा मामला?
10 अगस्त, 2017 की रात जब डॉ. कफील ड्यूटी पर थे, तब अचानक ऑक्सीजन की सप्लाई खत्म होते ही आईसीयू विभाग में भर्ती कई नवजात बच्चों ने दम तोड़ दिया था। उस वक्त डॉ. कफील बच्चों को बचाने के लिए अस्पताल के बाहर से ऑक्सीजन सिलिंडर लाए थे। घटना के बाद शुरुआत में तो डॉ. कफील मीडिया में हीरो बनकर उभरे। लेकिन थोड़े ही दिन बाद जब उन्होंने सरकार की लापरवाही पर सवाल खड़े करना शुरु किया तो 22 अगस्त को उन्हें लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित कर दिया गया और उनके खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी गई।
इसके बाद 2 सितंबर 2017 को उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जिसके बाद उन्होंने कोर्ट से ज़मानत की अपील की और 9 महीने बाद 25 अप्रैल 2018 को कफील को ज़मानत मिल गई। ज़मानत के बाद कफील ने हाईकोर्ट का रुख़ किया, जहां मार्च 2019 में कोर्ट ने विभागीय जांच 90 दिनों में पूरा करने का आदेश दिया। अब दो साल बाद उन्हें मामले में निर्दोष पाया गया है।
up ki janta ko ishwarr saddbuddhi de . aisi sarkar jo dharmik nafrat me is kadar gir gai hai ki doctor jo ki sirf musalmaan hone k naate uusko jail me ddaal diya jo ki bina kisi bhed bhav k ji jan se juta tha.
aisi sarkar ko jitana khud ko apradhi sabit karna hai.
Who will pay for two year mentle harassment of Dr. Ksfeel.
Ye bhai 9 month jail hoke aye hai aur hamre desh mei aise aise Muslim bhi hai jo 20 saal jail katke aye hai baad mei sirf ye bola jata hai hame khed hai ki hamne inhe Terrorist samjha
It’s the,”Hindutva”propaganda roaming on the Indian horizon with the patronages of the RSS and it’s allies right wings. Guess whom to blame for the patronages too -?
Unhone yogi ji or sbhi ko dhnyawad kiya tha pd doglpan tumhry khun me hai 7 saal sadwi jail me rahi or wo chhuti tb kon se dunia me the tum muslmaan choti soch gandi jat us wkat to sadhwi ko atnki or kya kya nhi aaj tak bolte
Hawa ke rukh ke sath inko chalna Chahiye jyada imandar banege to baimano ki toli inko to saza degi Marta hai use Marne dena chahiye bas only dikawa kijiye haqiqat main koi help Nahi ,Kitna Bache ki ma apka sahi gwahi Diya
Muslim hone ke nate dr kafil ko saza mili