सुप्रीम कोर्ट ने भले ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए रास्ता साफ़ कर दिया हो लेकिन अभी निर्माण कार्य में कई पेंच फंसते नज़र आ रहे हैं। राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर साधु-संतों में मतभेद पैदा हो गया है।

संतों के बीच हुए इस मतभेद की वजह रामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास की ओर से दिया गया बयान बताया जा रहा है। दरअसल, महंत दास ने मंदिर निर्माण के लिए नए ट्रस्ट का विरोध किया है। उनका कहना है कि जब पहले से ही पुराना ट्रस्ट बना है तो नए ट्रस्ट की ज़रूरत नहीं है। उनका कहना है कि पुराने ट्रस्ट में ही कुछ लोगों को जोड़कर मामले को आगे बढ़ाया जाए।

महंत दास की इस मांग पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने आपत्ति जताई है। विहिप का कहना है कि रामजन्मभूमि न्यास की सम्पत्ति राम मंदिर निर्माण के लिए गठित होने वाले ट्रस्ट को सौंप दी जाए। विहिप ने यह मांग भी रखी है कि उसे अथवा न्यास के पदाधिकारियों को ट्रस्ट में जगह मिले या न मिले लेकिन राम मंदिर आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले धर्माचार्यों को प्राथमिकता अवश्य दी जाए।

इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ही ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाए जाने की मांग भी उठ रही है। इस मांग का साधु-संतों ने विरोध किया है। विरोध करने वालों में से एक पूर्व सांसद एवं वशिष्ठ भवन के महंत डॉ. राम विलास दास वेदांती भी हैं।

डॉ. वेदांती ने तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी महंत परमहंस दास को फोन कर उनसे ट्रस्ट के अध्यक्ष के लिए उनके नाम का प्रस्ताव देने को कहा था। इस बातचीत का आडियो भी सामने आया है। इस आडियो में न्यास अध्यक्ष के लिए कई अमर्यादित बातें कही गई हैं। जिससे न्यास अध्यक्ष के समर्थक साधू बेदह नाराज़ हैं।

वहीं जानकी घाट बड़ा स्थान के महंत जन्मेजय शरण भी दावेदारों की फेहरिस्त में शामिल हैं। वह अयोध्या एक्ट पारित होने के बाद श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण ट्रस्ट का गठन कर स्वयं उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं।

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