देश की सबसे चर्चित जाँच एजेंसी सीबीआई की प्रतिष्ठा दावं पर लगी हुई है। सीबीआई के नंबर एक और नंबर दो अधिकारियों में ‘ठन’ जाने के बाद मोदी सरकार ने नंबर एक आलोक वर्मा और नंबर दो राकेश अस्थाना को पद से हटाकर छुट्टी पर भेज दिया।

आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना की लड़ाई से सीबीआई दो धडों में बंट गई, एक खेमा आलोक वर्मा का है तो दूसरा खेमा राकेश अस्थाना का है।

मोदी सरकार इन दोनों अधिकारियों में से किसका साथ दे रही है इसपर बोलने से पहले बता दें कि राकेश अस्थाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी हैं। सीबीआई का पूरा मामला ‘राफेल घोटाला’ को लेकर हुआ है, जिसके कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा के हाथ लग गए थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोदी सरकार को आलोक वर्मा से खतरा पैदा हो गया था कि वो राफेल को लेकर कोई बड़ा खुलासा ना कर दें.

‘सीबीआई’ और ‘राफेल’ के पूरे मसले पर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने ‘बोलता हिंदुस्तान’ संवाददाता आदिल वसीम से सभी पहलुओं पर विस्तार से बात की।

उन्होंने कहा कि, “पूरी की पूरी तोता मंडली पिंजरे में फंस चुकी है, इससे कोई बच नहीं पाएगा।“

संजय सिंह ने सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा को हटाये जाने की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा- “राफेल सौदा मोदी सरकार के लिए बहुत बड़ी मुश्किल बन गया है। लेकिन, सरकार राफेल को जितना छिपाने की कोशिश करेगी उतना ही उसका चेहरा जनता के सामने काला होकर आएगा।”

आप नेता ने राफेल घोटाले पर बताया कि, उन्होंने मार्च महीने में ही सीबीआई और सीवीसी (CVC) को राफेल घोटाले को लेकर 12 कारण बताया था और शिकायत की थी, कि क्यों राफेल घोटाला रक्षा क्षेत्र का महाघोटाला है। संजय सिंह द्वारा राफेल को लेकर सीवीसी को शिकायत करने के बाद सीवीसी ने शिकायत स्वीकार भी कर ली. लेकिन, सीबीआई ने इसपर कोई जाँच नहीं की।

वहीं सीवीसी ने रक्षा सचिव को राफेल पर आगे की जाँच करने को कहा, इसके बावजूद सरकार के दबाव में इसपर कोई कारवाही नहीं की गई। यही नहीं राफेल घोटाले को लेकर पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा से मुलाकात कर सभी तथ्य रखे।

इन तीनों लोगों से सीबीआई चीफ आलोक वर्मा की मुलाकात के बाद मोदी सरकार नाराज़ हो गई!

संजय सिंह ने सवाल उठाया कि, क्या राफेल घोटाले को लेकर कोई सीबीआई चीफ से शिकायत नहीं कर सकता? सरकार मुलाकात पर नाराज़ क्यों हो रही है? उन्होंने कहा, सीबीआई का पूरा प्रकरण इस मुलाकात के बाद शुरू होता है। इस मुलाकात के बाद ही स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना आलोक वर्मा की शिकायत सीवीसी से करते हैं। फिर आलोक वर्मा राकेश अस्थाना का पूर्व में किए गए पूरा काला चिट्ठा खोल के सामने रखते हैं।

संजय सिंह ने कहा कि, राकेश अस्थाना वो व्यक्ति है जिसने नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को गुजरात दंगों में बचाने का काम किया। जिसने विजय माल्या का 9000 करोड़ के घोटाले के लुकआउट नोटिस को इन्फॉर्म नोटिस में तब्दील किया।

राकेश अस्थाना ने ही मीट कारोबारी मोईन कुरैशी से 2 करोड़ की रिश्वत खाई। राकेश अस्थाना सरकार से सुरक्षा प्राप्त अधिकारी है जिसको सीनियर अधिकारियों को दरकिनार करके उसे सीबीआई का स्पेशल डायरेक्टर बनाया गया।

संजय ने कहा, “राफेल और राकेश (अस्थाना) इन दो के भ्रष्टाचार को बचाने के लिए आलोक वर्मा की बलि चढ़ा दी गई।” यही नहीं सारे नियमों को ताक पर रखकर सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को हटाया गया।

सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति देश के प्रधानमंत्री सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष का नेता करते हैं। लेकिन नियुक्ति करने वाले लोगों से बिना विचार विमर्श किए ही मोदी सरकार ने रातों रात आनन-फानन में आलोक वर्मा को पद से हटा दिया!

आप सांसद ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार न तो कोर्ट को मानती है और न ही किसी नियम को।

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