मोदी सरकार की नज़र में भले ही लड़ाकू विमान बनाने वाली सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्‍स लिमिटेड राफेल बनाने में सक्षम न हो। मगर अन्य देशों को एचएएल का काम पसंद आया है।

यही वजह है की जब यूएई के रक्षा मंत्री भारत आए तो उन्होंने तेजस विमान में दिलचस्पी दिखाते हुए एचएएल के काम तारीफ की और भारत के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास करने की बात भी कही।

दरअसल बीते बुधवार यूएई के रक्षा मंत्री मोहम्मद बिन अहमद अल बवार्दी भारत दो दिन दौरे पर आए हुए थे। जहां उन्होंने सबसे बंगलौर में हिन्‍दुस्‍तान एरोनॉटिक्‍स लिमिटेड जाकर वहां की सुविधाएं देखी और तेजस विमान लेने में अपनी दिलचस्पी दिखाई।

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भारत की तरफ से आधिकारिक बयान देते हुआ कहा गया है की वो भारत के रक्षा क्षेत्रों सार्वजनिक क्षेत्र के उपकरण बनाने वाली कंपनी जैसे (एचएएल) हिन्‍दुस्‍तान एरोनॉटिक्‍स लिमिटेड और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) के दौरे पर है जिसके बाद वो बुधवार को वापस लौट जायेंगें।

यूएई के मंत्री ने बंगलौर में एचएएल की सुविधाओं की जानकारी लेने के बाद कहा कि वो तेजस विमान में दिलचस्पी रखते है।

यही नहीं तेजस में दिलचस्पी श्रीलंका और इजिप्ट और सिंगापुर जैसे विकसित देश ने तेजस में दिलचस्पी दिखाई है।

मगर एचएएल के लिए पहली प्राथिमिकता है भारतीय वायु सेना जिसने 123 तेजस विमान देने है जिसमें अभी काफी वक़्त लगेगा।

गौरतलब हो की जब राफेल डील में एचएएल जैसी सरकारी कंपनी को निजी हाथों में देने के सवाल पर रक्षा मंत्री ने कहा था 126 राफेल डील पर यूपीए सरकार के दौरान अंतिम नतीजे पर इसलिए नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि एचएएल के पास उन्हें बनाने के लिए पर्याप्त क्षमता का अभाव था।

अब उसी एचएएल के कामों को दुनिया अहमियत दे रही है और लड़ाकू विमान तेजस में अपनी दिलचस्पी दिखा रही है मगर रक्षा मंत्री ने एक झटके में एचएएल को राफेल बनाने के लिए नाकाबिल बता दिया था।

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