देश के 220 अमीरों ने सरकारी बैंक एसबीआई (State Bank of India) से कुल 76000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. फिर देने से इनकार कर दिया. सरकार ने कड़ी कार्रवाई करते हुए इसे माफ कर दिया. अब यह कभी नहीं वसूला जाएगा.

31 मार्च को पंजाब नेशनल बैंक ने 94 अमीरों का 27,024 करोड़ का कर्ज माफ किया. हाल ही में खबरें आई थीं कि 2018 में भी कुछ अमीरों का 71,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया.

दिसंबर, 2018 में आरबीआई (Reserve Bank of India) ने बताया था कि तीन सालों में कॉरपोरेट का 2.4 लाख करोड़ माफ किया गया. इसके अलावा सरकार ने राज्यसभा में बताया था कि तीन सालों में 2,41,911 करोड़ रुपये का कॉरपोरेट कर्ज माफ कर दिया गया.

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सिर्फ वित्त वर्ष 2017-18 के बीच ही 1,44,093 करोड़ रुपये माफ किया गया. 2016-17 में 89,048 करोड़ माफ किया गया था.

यह जो लाखों करोड़ माफ किया जाता है, बैंक की भाषा में इसे राइट आफ कहा जाता है. तकनीकी रूप से राइट आफ के बाद भी वसूली की प्रक्रिया जारी रह सकती है, बैंक अपने हिसाब से वसूली कर सकता है. लेकिन जब बैंक के खाते में रहते हुए वह नहीं दे रहा है तो खाते से बाहर होकर कौन सी हुंडी थमा देगा? राइट आफ के बाद सरकार ने कभी कोई वसूली की हो तो राम जानें.

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तो लब्बोलुआब यह कि ईमानदार सरकार (Modi Government) ने सरकारी खजाने की कड़ी चौकीदारी करते हुए फिर से कुछ अमीरों का 76000 करोड़ माफ कर दिया. यह मोदी जी का मास्टरस्ट्रोक है.

अब आप बैठकर गिनिए कि जितने लाख करोड़ माफ ​हुए, उनमें कितने जीरो होंगे और चूंकि जीरो भारत की खोज है, इसलिए आप गर्व भी कर सकते हैं.

( ये लेख कृष्णकांत की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है )

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