एक पुरानी कहावत है ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’, कानून सख्त होने के बावजूद उसे लागू करवाने वाले ही अगर सख्त और निष्पक्ष नहीं होंगें तो इंसाफ कैसे मिल सकता है। ऐसा सिर्फ उन्नाव और कठुआ गैंगरेप में ही देखने को नहीं मिला है।

बल्कि कहीं कहीं कानून बेहद सख्ती से भी लागू किया जा रहा है ज़रूरत पड़ने पर कानून को खत्म भी कर दिया जा रहा है। मगर न्याय की उम्मीद कर रहें लोगों के हिस्से सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है।

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कांग्रेस नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम पर सरकार कितनी सख्त है ये गिरफ़्तारी से ही नज़र आ गया था। वहीं भीड़  हत्या में शामिल लोगों पर सरकार कितनी मेहरबान रही है ये बात भी हर कोई जानता है। दूसरी तरफ पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट हिरासत में मौत से जुड़े एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।

बर्खास्त आईपीएस अधिकारी सजीव भट्ट को करीब 30 साल पुराने पुलिस हिरासत में मौत के एक मामले में गुजरात के जामनगर की एक अदालत ने उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी। मगर अबतक उन्हें बेल नहीं दी गई है। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर विरोधी है और उनके कार्यकाल में उनकी सुरक्षा संभाल चुके है।

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इन्हीं मामले पर पत्रकार पी शीतल सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा है- उ०प्र० के बुलंदशहर में थानेदार को जान से मार देने वाले मुख्य दंगाई को ज़मानत मिल गई! गुजरात में संजीव भट्ट IPS को साल भर से ज़्यादा जेल में हो गया हाईकोर्ट बेल तक न दे सका! और देश में सुप्रीम कोर्ट ऑंखें दूसरी तरफ़ फेरे हुए है! हम कहाँ तक तरक़्क़ी कर ले गये हैं?

बता दें कि शाहजहांपुर मामले में पीड़िता को फिरौती मांगने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। वहीं बुलंदशहर में पिछले साल हुई पुलिस अधिकारी के मौत के मामले में कई आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। मगर अभी कई लोग ऐसे है जिन्हें अभीतक जमानत नहीं मिल पाई है, उन्हें अब भी कानून से इंसाफ की उम्मीद है।

3 COMMENTS

  1. जब न्याय के सारे रास्ते बंद कर दिये जाऐंगे तो एक ही रास्ता है कि आम आदमी क़ानून अपने हाथ में लेने का ।सत्ता के सारे अंगों पर एक साथ हमला करने का रास्ता शेष है।

  2. अजी साहब जज लोया साहब याद हैं अब वह कहां कानून रह गया और वहां कहां वह वाले जज रह गए प्रधान जज हमारे कुमार फेकू महाराज आज हैं

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