भारतीय राजनेताओं द्वारा महिलाओं के उपहास का लंबा इतिहास रहा है। इस मामले में बीजेपी-कांग्रेस दोनों एक समान हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों में बीजेपी नेताओं ने बढ़त बना ली है। इसे सत्ता का नशा कहें या विचाराधार का दोष लेकिन प्रधानमंत्री मोदी समेत कई बीजेपी नेताओं ने महिलाओं का जमकर मजाक बनाया है।

ख़ैर, एक पितृसत्तात्मक समाज से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है। लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 11 प्रतिशत है। ज्यादातर महिला सांसद बीजेपी की ही है क्योंकि लोकसभा में बीजेपी के पास प्रचंड बहुमत है। लेकिन दिक्कत ये है कि ये 11 प्रतिशत भी खुलकर बोल नहीं पा रहीं!

मेनका गांधी, सुषमा स्वराज, निर्मला सीतारमण, स्मृति इरानी जैसी नेत्रीयां दोनों सदनों में हैं लेकिन महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे हिंसा के खिलाफ शांति है, क्यों? सदन में बैठी कुछ शक्तिशाली महिलाएं बलात्कार जैसे जघन्य अपराध पर भी मौन हैं, क्या उन्हें पार्टी और सत्ता के लालच ने इस कदर अंधा कर दिया है कि वो बलात्कार जैसे अपराधों से भी मुंह फेरने को तैयार हैं?

ये भारत में ही संभव है कि महिलाओं के साथ हो रहे हिंसा पर कुछ शक्तिशाली महिलाएं चुप हैं। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और कुछ अन्य लोगों पर एक 16 साल की नाबालीग लड़की के साथ गैंग का आरोप लगा है। आरोप लगाने वाली महिला के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पिटाई के बाद आंत फटने से मौत की वजह बताई गई है। इन सब के बावजूद अभी तक बीजेपी विधायक की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

सबसे दुखद बात तो ये है कि केंद्र सरकार के बड़े मंत्रालयों को चलाने वाली महिलाएं इस मामले पर एक शब्द बोलने को तैयार नहीं हैं। निर्मला सीतारमण को देश के रक्षा का जिम्मा मिला हैं। रक्षा मंत्री का पद संभालने वाली निर्मला सितारमण जब देश में महिलाओं की असुरक्षा पर बोल नहीं पा रही है, फिर कहने को बच ही क्या जाता है?

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, जो अपने धारदार भाषण के लिए जानी जाती हैं वो भी इस मामले पर चुप हैं। क्यों चुप हैं? शायद बीजेपी के अंदर इस बात की आज़ादी नहीं कि कोई महिला किसी दूसरी महिला के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ बोल सके! या शायद सुषमा स्वराज के नजर में बीजेपी नेता बलात्कारी हो ही नहीं सकते? या शायद सबकुछ पता होने के बाद भी सुषमा स्वराज बड़े पदों के लालच में चुप हैं?

इस लिस्ट में सूचना और प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी और महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी भी शामिल होती हैं। इस मामले में इनकी चुप्पी भी संदिग्ध है। हो सकता है इनके भी अपने कुछ कारण हो लेकिन समस्या ये है कि इन कारणों की वजह से एक नाबालिग लड़की को इंसाफ नहीं मिल पा रहा है।

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