ईमानदारी से काम करने वाले आधिकारियों के साथ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किस तरह बर्ताव करती है, इसकी एक बानगी तब देखने को मिली जब सरकार ने शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े का खुलासा करने वाले प्रयागराज के एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज का तबादला कर दिया।

दरअसल, योगी सरकार ने सोमवार देर रात 14 आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर किया। इनमें एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज का भी नाम है। एसएसपी पद से हटाने के बाद सत्यार्थ अनिरुद्ध को अभी नई तैनाती नहीं दी गई है, उन्हें वेटिंग लिस्ट में रखा गया है। उनकी जगह अभिषेक दीक्षित को प्रयागराज का नया एसएसपी बनाया गया है।

ग़ौरतलब है कि एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध ने 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले में हुए फर्जीवाड़े का खुलासा किया था। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार ने उन्हें फर्जीवाड़े का खुलासा करने की सजा दी है। प्रतियोगी छात्रों का कहना है कि शिक्षक भर्ती के मामले में तमाम एफआईआर कराने और नकल माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने पर एसएसपी का सजा के तौर पर ट्रांसफर किया गया है।

सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने ही बतौर एसएसपी प्रयागराज के सोरांव थाने में एक प्रतियोगी छात्र के अनुरोध पर एफआईआर कराई थी। 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के मामले में एफआईआर कराते हुए एसएसपी ने खुद जांच की मॉनिटरिंग की थी। इस जांच में एसएसपी ने एएसपी अशोक वेंकटेश और अनिल यादव को भी लगाया था। इन दो अफसरों की पहचान पश्चिमी यूपी में नकल माफिया के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए रही है।

मामले की जांच करते हुए पुलिस ने कई गिरफ्तारियां की और भारी मात्रा में कैश बरामद किया। गिरफ़्तार किए गए लोगों से सख्ती से की जा रही पूछताछ के बाद इस फर्जीवाड़े की परतें खुलने लगीं। माना जा रहा है कि इस मामले में कई बड़े नाम भी सामने आ सकते हैं। ऐसे में एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध को यहां से हटाकर वेटिंग लिस्ट में डालना, मामले में कई सवाल खड़े कर रहा है।

इस फर्ज़ीवाड़े में बीजेपी नेता चंद्रमा सिंह यादव पर भी आरोप लग रहे हैं।

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